“स्वाद में किसी से कम नहीं है भंवरीलाल का मक्खन बड़ा” 

भंवरीलाल स्थापित सन 1935 ई0

मिठाईयों के एक और दिग्गज निर्माता अनिल सैनी जी – Operations Head, ‘भँवरीलाल मिठाईवाला  इंदौर के MHOW इलाक़े से हैं।

 भँवरीलाल कई तरह की देसी घी में बनी मिठाई बनाने में निपूर्ण है । MNT की टीम हर बार इस खोज में रहती है कि एक ऐसा प्रोडक्ट चुनें जिसका स्वाद न सिर्फ़ लोगों की ज़ुबाँ पर रचा-बसा हो बल्कि लोगों के मस्तिष्क में उसकी ख़ुश्बू वास करती हो । 

एक मिठाई है जो स्वादिष्टता का प्रतीक है जिसे ‘मक्खन बड़ा’ कहते हैं। स्वर्गीय श्री भँवरीलाल जी सन 1935 ई0 में राजस्थान, जयपुर से अपनी क़िस्मत आज़माने इंदौर आये थे, जहाँ उन्होंने मिठाईयों का व्यवसाय शुरू किया और सन 1945 में ‘ भँवरीलाल मिठाईवाला’ को स्थापित कर सिर्फ शुद्ध देसी घी में मिठाईयाँ बनाईं। 

मिसाल की तौर पर संगम बर्फ़ी, मक्खन बड़ा, लड्डू (गौंद, मगज, बूंदी आदि), सोहन हलवा, और कई अन्य सूखे मेवों की किस्मों के साथ-साथ फ़ेनी, गुजिया, घेवर जैसी मौसमी मिठाईयाँ इनकी विशेषताओं में से रहीं जो आज भी उसी अंदाज़ से बनाई जा रहीं हैं। 

MHOW (Military Headquarter of War) है हिंदुस्तान के हर कोने से लोग मिलिट्री ट्रैंनिंग के लिए आते हैं जिसकी वजह से ‘भँवरीलाल’ को बख़ूबी पहचानते हैं। अनिल जी का कहना है कि भले ही उन्होंने पूरे भारत का दौरा नहीं किया लेकिन उनके ‘ भँवरीलाल ‘ की मिठाईयाँ हिंदुस्तान के हर प्रांत में प्रसिद्ध हैं।

इन्हीं मिठाईयों में से एक है मक्खन बड़ा जो भँवरीलाल का प्राचीन और बहुत लोकप्रिय उत्पाद है  जिसे इनके सभी ग्राहकों से लोकप्रियता मिली है। अनिल जी ने बताया कि जो रेसिपी उनके दादा श्री भँवरीलाल जी ने 87 वर्ष पहले बनाई थी आज भी उन्होंने वही स्वाद बनाये रखा है । उन्होंने बताया कि पहले मिठाईयों की इतनी ज़्यादा रेंज नहीं हुआ करती थीं। पहले ज़्यादा फ़ोकस शुद्ध घी की मिठाईयों पर ही हुआ करता था और वह सारी मिठाईयाँ हस्त-निर्मित ही हुआ करती थीं। 

अगर हम मक्खन बड़ा के नाम के पीछे की कहानी को देखें तो पता चलता है कि इनके पूर्वज इसके मक्खन में इसके आटे को गुंथा करते थे लेकिन अब वह शुद्ध देसी घी में गुंथा जाता है और उसकी बेहतरीन मिक्सिंग के कारण तैयार होने के पश्चात् खाते समय मुँह में तुरंत घुल जाता है , इसीलिए इसका नाम ‘मक्खन बड़ा’ पड़ा।

वह आगे बताते हैं कि, मिठाई बनाने की जो प्रथा हम तक पहुंची, हमने वही अपने साथ काम करने वाले कारीगरों को सिखाया। अब बात यह आती है कि मक्खन बड़ा में ऐसा क्या ख़ास है जिसकी वजह से वह इतना लोकप्रिय है। उनका मानना है कि पहले तो उसमें उन्होंने अपनी भावनाएं जोड़ी हैं और बड़े ही प्यार और स्नेह के साथ उसे तैयार करते हैं, जिसकी वजह से वह इतना स्वादिष्ट होता है। बहुत ही विस्तार पूर्वक उन्होंने हमें इसपर जानकारी दी लेकिन जगह की कमी के कारण हम उन बातों को संक्षेप में लिख रहे हैं ।

महत्वपूर्ण बात यह है कि वह बहुत उत्तम दर्जे के रॉ-मटेरियल का इस्तेमाल करते हैं, जैसे घी, मैदा, चीनी, ड्राई फ्रूट्स इत्यादि जिसकी वजह से अनूठा स्वाद आता है। सिर्फ़ इतना ही नहीं इसमें इस्तेमाल होने वाले यूटेंसिल्स का भी वह ख़ास ख्याल रखते हैं।  प्रति दिन कार्य समाप्त होने पहले इसको पकाने में प्रयोग होने वाली कढ़ाई को पूरी तरह साफ़ करते हैं ताकि रात भर में उसमें कोई बैक्टीरिया न आए और अगले दिन के उत्पादन के लिए यह स्वच्छ मिले। इस प्रकार हम हाइजीन को प्राथमिकता देते हैं।  

मौसम का असर के बारे में अनिल जी ने सूचित किया के मौसम का इस पर अलग-अलग प्रभाव होता है। एक दिन पहले मक्खन बड़ा को तल कर एक ख़ास तरह कि छन्नी में रखा जाता है जिस से उसका सारा घी निकल जाये और वह एक के ऊपर एक रखे जाते हैं । बारिश में इसे नॉर्मल से अधिक सेकना पड़ता है ताकि उस के अंदर किसी प्रकार कि कोई नमी बाक़ी ना रहे और अगले दिन चाशनी में डूबोया जाता है और अगर वह सही से नहीं तला हुआ होगा तो बारिश में उसमें फंगस लगने का ख़तरा बना रहता है इसलिए बारिश के मौसम में उसकी चाशनी के ब्रिक्स भी ज़्यादा बनाये जाते है ताकि वह ख़राब ना होने पाए।

गर्मी के दिनों में हमें इसके पकाने के बाद इसको अनुकूल तापमान में ठंडा करना अनिवार्य होता है क्योंकि इसका आंतरिक तापमान 70°C से 80°C होता है जिसकी वजह से इसमें आग लग जाने का भी ख़तरा बना रहता है।

सर्दियों में मक्खन बड़े के अंदर का घी पूरी तरह निथर नहीं पाता जिसकी वजह से चाशनी अंदर तक पूरी तरह पेवस्त नहीं जा पाती जिसके चलते ग्राहकों की ओर से घी अधिक तथा मिठास कम होने की शिकायत आती है। हम सही समय पर उचित तापमान देकर सम्बंधित शिकायतें दूर करते हैं। यही हमारी निपुणता है।