लोकप्रिय कहावत “हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती” का अर्थ शाब्दिक और व्यावहारिक दोनों रूप में समझा जा सकता है।
लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी पसंदीदा मिठाइयों पर चमकदार परत क्या होती है, जो उन्हें कांच की शोकेस में रखने पर इतना आकर्षक बना देती है!
चांदी के वर्क (जैसा कि हम इसे जानते हैं) का उपयोग भारत में सदियों से विभिन्न प्रकार की मिठाइयों के रूप और आकर्षण को बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। यह सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का भी हिस्सा रहा है और इसे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों एवं मिष्ठान आदि की सजावट में अपनाया जाता रहा है। हालांकि यह स्वादहीन होता है, लेकिन उपभोक्ता इसके भव्य रूप के कारण अपनी पसंदीदा रेसिपीज़ और मिठाइयों में इसके इस्तेमाल के लिए आकर्षित होते हैं।
हालाँकि, खाने के लिए उपयुक्त चांदी के वर्क की गुणवत्ता और प्रकार को लेकर अस्पष्टता अभी भी बनी हुई है।
आमतौर से चांदी का पत्तर, जिसे चांदी का वर्क / वरक / वर्ख / तबक के नाम से भी जाना जाता है, पारंपरिक रूप से चांदी की छोटी पतली पट्टियों को जानवरों की त्वचा से बनी पट्टिकाओं के बीच रखकर और इन पट्टिकाओं की गड्डी को कई घंटों तक लगातार हथौड़े से पीटकर बनाया जाता था । चांदी की छोटी पतली पट्टियों को तब तक पीटा जाता था जब तक कि वांछित मोटाई का चांदी का वर्क प्राप्त नहीं हो जाता था।
यह प्रक्रिया अप्रिय और अस्वच्छ पाए जाने के कारण उपभोक्ताओं के लिए संभावित जोखिम पैदा करती थी। नतीजतन, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने चांदी के वर्क में किसी भी प्रकार के जानवरों से प्राप्त पदार्थ के उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
जैसे-जैसे इस पदार्थ की लोकप्रियता बढ़ती गई, वैसे-वैसे इसकी नकलें भी सामने आने लगीं, जिससे यह संभावना बन गई कि यह आकर्षक चांदी की चमक शायद चांदी हो ही न बल्कि एल्युमिनियम आदि जैसी कोई अन्य हानिकारक धातु हो।
इसके कारण निम्नलिखित जोखिम बढ़ गए:
· इन अवांछित हानिकारक धातुओं का संभावित सेवन एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन सकता है।
· उपयोग की जाने वाली चांदी की खराब गुणवत्ता, जो शायद 999 Grade शुद्धता वाली चांदी न हो।
· चांदी का वर्क अस्वच्छ तरीके से तैयार किया गया हो।
· कार्यशालाओं में अस्वच्छ परिस्थितियाँ वर्क को दूषित करने का कारण बन सकती हैं, जिससे खाद्य जनित रोगों का खतरा होता है।
समय के साथ, उपभोक्ताओं में चांदी के वर्क से जुड़े सभी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ी है, जिसके कारण मिठाई की दुकानों के मालिकों ने एक ऐसे समाधान की तलाश शुरू की, जिसमें मिठाई का आकर्षण भी बना रहे और साथ ही चांदी के वर्क की गुणवत्ता एवं स्वच्छता भी बनी रहे जो खाने के लिए उपयुक्त हो।
उपभोक्ताओं की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड (DS Group) ने वर्ष 2004 में “Catch“ ब्रांड नाम के तहत 100% शाकाहारी एवं सात्विक चांदी के वर्क के निर्माण का बीड़ा उठाया, जिसे बिना चमड़ा प्रयोग किए स्वचालित कंप्यूटरीकृत मशीनों द्वारा बनाया जाता है।
DS Group इस क्षेत्र में अग्रणी एवं पथप्रदर्शक है और भारत में पहली बार मशीनीकृत चांदी के वर्क लाने का श्रेय भी DS Group को ही जाता है । मशीनीकृत निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि कैच चांदी का वर्क पूरी तरह से जानवरों से प्राप्त किसी भी पदार्थ से मुक्त है और FSSAI द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों का अनुपालन करती है।
धर्मपाल सत्यपाल ग्रुप (DS Group) ने कैच, राजनिगंधा, पास पास, पल्स, क्षीर आदि अपने प्रमुख ब्रांडों के साथ माउथ फ्रेशनर, मसाले, कन्फेक्शनरी, डेयरी, व चांदी का वर्क सहित विभिन्न खाद्य और पेय पदार्थों में अपना अग्रणी स्थान स्थापित किया और बनाए रखा है ।
DS Group के उत्पादों के लिए ‘गुणवत्ता’ और ‘नयी तकनीक’ हमेशा पर्यायवाची रहे हैं और ‘कैच’ चांदी का वर्क भी ‘गुणवत्ता’ और ‘नयी तकनीक’ का एक आदर्श उदाहरण है।
“कैच” चांदी के वर्क की प्रमुख विशेषताएं:
- धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड (DS Group) का विश्वास ।
- फूड-ग्रेड ।
- शुद्ध, शाकाहारी और खाने योग्य, 999 Grade शुद्धता वाली चांदी से बना हुआ।
- मनुष्य हाथ से अनछुआ।
- धूल-रहित वातावरण में स्वच्छता से निर्मित।
- पूरी तरह से स्वचालित जर्मन मशीनों/प्रौद्योगिकी से निर्मित ।
- शुद्ध कागज़ /वर्जिन पेपर की परतों में पैक किया हुआ ।
प्रमाणपत्र और सम्मान:
- ISO 22000: 2018 प्रमाणित ।
- स्वच्छ सर्वेक्षण प्रमाणपत्र -2021: नोएडा को स्वच्छ शहर बनाने और कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ की ओर से दिया गया ।
- “प्रबंधक, जैन मंदिर, दादा बाड़ी तीर्थ, मेहरौली, नई दिल्ली” से प्रशंसा पत्र ।
“श्री जैन श्वेतांबर मंदिर, नौघरा गली, किनारी बाजार ” से प्रशंसा पत्र ।