रमज़ान महीने की मीठी ईदी और रूहानी रौशनी से भरी पारंपरिक मिठाईयों का दस्तावेज़

माहे रमज़ान का नाम सुनते ही मेरे जैसे पक्के मुंबईकर, जिसका बचपन ही साउथ मुंबई के भुलेश्वर जैसे व्यापारी गलियों में गुजरा है, जहां गंगा जमनी तहज़ीब को देखते हुए बड़ी हुई हूँ। हर विभिन्न पृष्ठभूमियों और धर्मों के लोग की अपनी दैनिक दिनचर्या से सजी मुंबई के उस  हिस्से की बात कर रही हूँ जहां एक कान से प्रातः सुबह की मंदिरों की पहली काकड़ आरती और एक कान से मस्जिदों की अज़ान से आँखें खुलती हो। मेरे लिए जब रमज़ान की यादें कहें तो मिठाई के लिए उस्मान सुलेमान की फिरनी , जे  जे जलेबी की मावा जलेबी, बादशाह का फालूदा, मोहम्मद स्ट्रीट की इफ्तारी के समय खाने से सजी दुकानें, ईद पर ज़ोया आप्पा के घर से आनेवाली बिरयानी और शिरखुर्मा और खुश्बू चाचा से मिलने वाली ईदी। उम्र के इस ढलान पर भी यह यादें हर साल पर रमज़ान आते ही महकने लगती है। आज जब संयोगवश मिठाई और नमकीन इंडस्ट्री में ही मुझे काम करने का मौका मिला है तब इन यादों को अपने शब्दों में संजोने का मोह में रोक नहीं पायी।

मिठाई एंड नमकीन टाईम्स हमेशा से मिठाई उद्योग के अलग अलग पहलुओं को अपने पाठकों के साथ साँझा करता आ रहा है। इस लेख में हमने सिर्फ एक यादों का कारवां ही नहीं बल्कि मिठाई उद्योग से जुड़े हुए ऐसे कुछ मिठाई निर्माताओं से बात करने की कोशिश की है जो अपनी पारंपरिक मिठाईयों के लिए जाने जाते है और ईद पर सिर्फ ईदी के लिफाफे ही नहीं बल्कि सालों से चली आ रहीं इनकी ख़ासी पारंपरिक मिठाईयां भी लोगों को लुभाती आ रही हैं।

मिठाई एंड नमकीन टाईम्स ईद के इस मौके पर हमारे पाठकों को ईद की प्रसिद्ध पारंपरिक मिठाई तथा उनके निर्माताओं के एक अलग पहलु से रूबरू करवाना चाहती है जिसके लिए हमने पुरे भारत से उनके क्षेत्र में प्रसिद्ध लोगों से बात की जिसमे मुंबई से जे जे जलेबी से अब्दुल रहमान हाजी इरफ़ान खान (Grandson of Haji Chote  Khan)सुलेमान उस्मान मिठाईवाला से सादिक़ मिठाईवालाअलाहाबाद से कादिर स्वीट्स के हाजी शफीकुर्रहमान, और यूपी के रामपुर से सुहैल अख्तर खान (Grandson of Abdul Hakim Khan -known as Hakim Ji ) से किये हुए बातचीत का सारांश देंगे।

भारत की खाद्य संस्कृति में हर त्यौहार की अपनी एक सिग्नेचर मिठाई है जो उस त्यौहार की पहचान है। सदियों से चले आ रहे यह व्यंजन वक़्त के साथ परंपरा बनते गए जो आगे की पीढ़ियों तक सौगात के रूप में जा रहे है। हमने हमारा पहला सवाल हमारे साक्षात्करों से यहीं किया की आपकी ईद विशेष पारंपरिक मिठाई के बारें में बतायें जो  आपकी अन्य पारंपरिक मिठाइयों से अलग कैसे है?

इसका जवाब देते हुए इलहाबाद के हाजी कादिर स्वीट हाउस से हाजी शफीकुर्रहमान ने कहा हाजी कादिर स्वीट हाउस इलाहाबाद जाना पहचाना नाम है हाजी कादिर बक्श हलवाई ने इस शुद्ध घी की मिठाई की दुकान की स्थापना की थी।

कादिर हलवाई कि मिठाई शुद्ध घी से बनाई जाती हैं जिसका स्वाद व क्वालिटी से  कोई समझौता नहीं किया है। जिन्होंने पचास साल पहले मिठाई खाईं है वह बताते हैं आज भी वही स्वाद और क्वालिटी बरकरार है। रमज़ान महीने में 13/14 घंटो का रोज़ा होता है जिसके इफ्तार में मिठाई खाने से एनर्जी का एहसास होता है। कादिर की जाफरानी जलेबियां और अमरती इफ्तार के दस्तरख्वान पर चारचांद लगा देता है।केसरी सुजी हलवा,लच्छा पराठा, बड़ी बालूशाही, लौज़बादाम व सहरी के लिए सुतफेनी और खाजा की मांग रहती हैं। कादिर हलवाई के लौज़बादाम पूरे भारत के साथ अरब देशों मे भी पसंद किया जाता है। आज इस दुकान को हाजी कादिर बक्श हलवाई के पोते (grandson) हाजी शफीकुर्रहमान व हाजी मुजीबुर्रहमान व हाजी अतीकर्रहमान व हफीजुर्रहमान चला रहे हैं और उनकी देखभाल में वही पुराने स्वाद के साथ अपने चाहने वालों की सेवा कर रहे हैं। यहीं बात हमारी मिठाईयों को अन्य मिठाईयों से अलग बनाती है।

मुंबई से सुलेमान उस्मान मिठाईवाला से सादिक़ मिठाईवाला ने अपनी रमज़ान विशेष मिठाई के बारे में बताया की  1930  को पुणे से सुलेमान उस्मान मिठाईवाला जो एक बेकरी सहायक युवा था जो सफलता की आकांक्षाओं के साथ बॉम्बे के मीनार मस्जिद के पास अपनी छोटी दुकान शुरू की थी, जो 1936 तक एक प्रसिद्ध मिठाई ब्रैंड बन गया और आज भी है। उन्होंने रमज़ान के दौरान मालपुआ जैसे विशेष व्यंजनों की बड़ी प्रस्तुति की तथा उनके बेकरी प्रोडक्ट भी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हो गए। हमारी सिग्नेचर डिश फिरनी जो कच्चे मिट्टी के कटोरों में परोसी जाती थी, उन्हें आज भी पसंद किया जाता है, इस डिश ने उस समय में अपने स्वाद से पूर्व मंत्रियों और स्थानीय निवासियों को आकर्षित किया था। रमज़ान में, सुलेमान उस्मान मिठाईवाला मालपुआ, शाही हलवा और फिरनी का आनंद लेने का अवसर देता है, जो मैंगो, ब्लैक करंट और स्ट्रॉबेरी फ्लेवर में उपलब्ध हैं और यहीं हमारी स्पेशलिटीज़ भी हैं। हमारे यहाँ अखरोट, अंजीर और खुबानी से बनी पारंपरिक मिठाईयां भी मिलती हैं, जो ग्राहकों के स्वाद को संतुष्ट करती हैं और रमज़ान विशेष मिठाईयों को अन्य मिठाईयों से अलग बनाती हैं।

(PS: We have No Branch. Winner of Gold and Silver Shield in Aflatoon mithai. www.sulemanusmanmithaiwala.com)

मुंबई के मुहम्मद अली स्ट्रीट के जे. जे. सिग्नल पर स्थित जे. जे. जलेबी के ओनर अब्दुल रहमान ने बताया की 70 साल से हम मालपुआ, जलेबी और गुलाबजामुन यह मिठाई बेच रहे है और यहीं हमारी स्पेशलिटी भी है। यह हमारी 3TH जेनरेशन है जो इस व्यापार को संभाल रही है। मुझे यह कहते हुए गर्व महसूस होता है की पुरे भारत में केसरी जलेबी से अलग लाल कलर की जलेबी का इन्वेंशन मेरे दादजीने किया था, साथ ही हमारा रमज़ान का मुख्य आकर्षण है मालपुआ विथ रबड़ी जिसे पहले बनाने का श्रेय भी मेरे दादाजी को जाता है। मैं यहाँ पर विशेष रूप से नमूद करना चाहता हूँ की ओरिजिनल जे जे जलेबी की शाखाएं सिर्फ मोहम्मद अली स्ट्रीट (जे. जे. सिग्नल), जोगेश्वरी और मुंब्रा में हैं इसके अलावा अन्य जगह पर स्थित जे जे जलेबी से हमारा कोई संबंध नहीं है।

यूपी के रामपुर से सुहैल ने बताया की  हमारी स्पेशलिटी हब्सी हलवा है जो दुनिया में कहीं नहीं मिल सकता यह मैं दावे से कह सकता हूँ क्यूंकि यह बहुत ही अलग इसम की मिठाई है और इसी बनाने का तरीका भी अलग है। 1930 से नाइजेरिया से आये हुए एक ख़ानसामा के द्वारा हमारे तक पहुंची यह मिठाई अपने आप में ही बेहद अलग है। इसका स्वाद तो अद्भुत है ही पर इसकी शेल्फ लाइफ भी कमाल की है जिस वजह से दूर दराज़ के अपने रिश्तेदार, गिफ्टिंग के लिए यह अच्छा पर्याय है। मुझे लगता है इस मिठाई की यहीं विशेषता उसे अन्य मिठाइयों से अलग बनाती है।

आजकल के बदलते तौर में व्यापार को बढ़ाने के प्रचार के तरीके भी बदल गए है। हर  त्यौहार के  के लिए विशेष पैकेज और ऑफ़र्स प्रदान करते हैं, जो नए ग्राहकों को आकर्षित करते हैं और उन्हें साथ जुड़े रहने के लिए प्रेरित करते हैं।  जिस वजह से अन्य दिवस के अलावा त्यौहारी सीजन में बिक्री बढ़ जाती है।

हमारा अगला सवाल इसी संदर्भ में था की रमज़ान के दौरानआप मिठाईयों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किस तरह से तैयारी करते हैं और किस तरह से नये ग्राहक को आकर्षित और जुड़े रहने के लिए प्रभावित करते हैंअपनी स्ट्रेटेजी के बारे में संक्षिप्त में बतायें?

जिसके उत्तर में हाजी शफीकुर्रहमान ने कहा आज  के दौर में क्वालिटी बरकरार करना ही बिजनेस प्रमोशन करता है और मिडिया का दौर है तो सोशल मीडिया प्रचार से कारोबार को विस्तार दिया। जिसमे रमज़ान व ईद का मिठाई कारोबार में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है।

सादिक़ मिठाईवाला ने कहा की माउथ पब्लिसिटी से मिली हुई पहचान ही हमारा गुडविल है, हम रमज़ान के दौरान बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विशेष तैयारी करते हैं। हम नई और अनोखी मिठाइयों का निर्माण करते हैं, जो हमारे ग्राहकों को आकर्षित करती हैं। हम अपने मिठाइयों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि हमारे ग्राहक हमेशा संतुष्ट रहें और हमारी दुकान को विश्वसनीयता प्राप्त हो।हम हमारी पैकेजिंग पर विशेष ध्यान देते है जो उपहार योग्य होते है और साथ ही हम ग्राहक को मिठाई के शुद्ध वजन के हिसाब से ही पैसे लेते  है, पैकेजिंग के लिए नहीं, यहां हम अपने मूल्यवान ग्राहकों के लिए मिठाई के सटीक वजन का ख्याल रखते हैं क्यूंकि हमारा मानना है की गुणवत्ता और विश्वास का मतलब अपने ग्राहकों के साथ अच्छा तालमेल होना।

प्रमोशन के बारे में अपनी राय बताते हुए रहमान ने कहा की हमारी माउथ पब्लिसिटी ही हमारी गुडविल है। यह हमारे ग्राहकों का प्यार ही है की इस बदलते दौर में भी हमें अभी तक किसी भी सोशल मीडिया एडवरटाइजिंग की जरूरत नहीं पड़ी है।

ईद की बिक्री व्यवसाय को वास्तविक रूप से महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती होगी जो आपके वार्षिक लाभ को मजबूती से बढ़ाता होगा। रमज़ान के माह के दौरान, रोज मिठाईयों का स्वाद न लेने वाले लोग भी खास रूप से पारंपरिक मिठाईयों का आनंद लेना पसंद करते हैं, जिससे बिक्री में वृद्धि होगी है।

सुहैल का इस बारे में कहना था की ईद की तयारी की बात करें तो हमारे रामपुर में तीन चार आउटलेट है तो आर्डर और डिमांड को ध्यान में रखते हुए हम रॉ मटेरियल की व्यवस्था पहले से कर लेते है।पैकिंग, मजदुर और अन्य चीज़ों को पहले से मैनेज कर लेते है ताकि हम हमारे ग्राहकों को अच्छे से सेवा दे सके। स्ट्रेटेजी में हमारी इतने साल की मेहनत और लोगों को पसंद आनेवाली मिठाई ही यानी आसान शब्दों में कहें तो माउथ पब्लिसिटी ही सबसे बड़ा प्रमोशन जिस वजह से हमारे यहाँ आनेवाले फुडब्लॉगर, न्यूजपेपर में के जरिये हमारी मिठाई देश के अन्य क्षेत्रों में प्रसिद्ध हो जाती है।

एक व्यावहारिक परामर्श का आधार लेते हुए हमने हमारा अगला प्रश्न किया जिससे हमारे अन्य मिठाई निर्माताओं को  या नए उद्यमी को एक अंदाज़ा आये की इस त्यौहार की मिठाईयां भी कितनी लाभपूर्ण हैं। हमारा प्रश्न था अन्य मिठाईयां और त्यौहार की तुलना में रमज़ान ईद की बिक्री आपके व्यवसाय को कितने प्रतिशत का सालाना इज़ाफ़ा करवाती है?

हाजी शफीकुर्रहमान ने इसका उत्तर देते हुए कहा की लगभग ४०% इज़ाफ़ा हो जाता है वहीं सादिक़ मिठाईवाला ने कहा हमारे व्यवसाय को रमज़ान ईद की बिक्री हमेशा ही बढ़ाती है, जो हमें सालाना कुछ प्रतिशत की वृद्धि दिखाती है। एक प्रमाणित प्रतिशत हम आपको तो नहीं बता सकते लेकिन हमेशा से यह त्यौहार हमें लाभकारी ही साबित होता है। अब्दुल रहमान ने इज़ाफ़े की बात करे तो रमज़ान में हमारी सेल अन्य दिनों से दो गुना बढ़ ही जाती है। तो अगर सालाना का हिसाब करे तो 75% इज़ाफ़ा हमें रमज़ान के सीजन में हो जाता है।सुहैल की राय में इज़ाफ़े की बात करें तो एक फिगर मैं आपको नहीं दे सकता क्यूंकि ईद के अलावा हर त्यौहार पर भी हमारी सेल दुगनी हो ही जाती है। उस हिसाब यह मैं जरुरु कहूंगा की ईद की बिक्री हमें हर साल लाभकारी ही साबित हुई है।

 निष्कर्ष – इस लेख में हमने भारत के विभिन्न क्षेत्रों के मिठाई निर्माताओं को रमज़ान के पाक महीने के बारे में जानकारी प्रदान की है। यहाँ हमने उनके व्यंजनों, उनके शुरूआती दौर, और वर्तमान व्यापार की विवरण प्रस्तुत किया है। इस लेख से साफ होता है कि कड़ी मेहनत और अपने काम के प्रति निष्ठा आपको शोहरत के नए आयाम तक पहुँचा सकती है। वक्त के साथ बदलाव ज़रूरी है, परंतु अपने काम और स्वाद के प्रति समझौता न करते हुए, हमारे आज के सभी मुलाकातकार इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। हमारे उत्तरकर्ताओं ने भी अपने सहज उत्तरों से इस लेख के लिए दिए हुए उनके समय, नजरिये के लिए मिठाई एंड नमकीन टाईम्स उनका आभारी है और इसी तरह उनके व्यापार की उन्नति हो, हर साल में माहे रमज़ान उन्हें मुबारक साबित हो इसी शुभकामनायों के साथ आप सभी को रमज़ान ईद की मुबारक बात देते हुए ईद मुबारक !!

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