होली एक लोकप्रिय प्राचीन हिंदू त्यौहार है, जिसे “प्यार का त्यौहार “, “रंगों का त्यौहार ” और “वसंत का त्यौहार ” के रूप में भी जाना जाता है। होलिका और प्रह्लाद की कहानी के साथ होली के उत्सव में राधा कृष्ण का शाश्वत और दिव्य प्रेम भी शामिल है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह रंगारंग त्यौहार लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।
मिठाई हमेशा से ही त्यौहारों का एक अभिन्न अंग रही है और होली का त्यौहार इस से अलग नहीं है। मिठाइयों का आदान-प्रदान हर त्यौहार का अटूट हिस्सा बनी रहती हैं और दूर रहनेवाले रिश्ते-नातों को मिठाई बॉक्स भेजने का आनंद कुछ और ही होता है ।
होली की मिठाई की विशेषता
होली के दौरान बनाई जाने वाली प्रमुख मिठाई गुजिया है, जो प्रामाणिक तौर पर होली की मिठाई मानी जाती है। बहुत से लोग रसमलाई, मालपुआ, केसरी मलाई पेड़ा, पूरन पोली बनाते हैं, और होली के विशेष भांग के लड्डू तो भूलते ही नहीं !
मावा और सूखे मेवों से भरी गुजिया को शुद्ध घी में तला जाता है ताकि एक बेहतरीन स्वाद का आनंद मिल सके और आख़िर में मिठाई को पूरी तरह शक्कर की चाशनी में डुबो कर निकाला जाता है, फिर चांदी के वर्क़ से सजा कर उसे और भी आकर्षित बनाते हैं ताकि दूकान की शोभा बन सके ।
भारतीयों के बीच लोकप्रिय, गुजिया, मिडिल ईस्ट के इतिहास प्रचलित है और यह मिठाई संस्कृति के अनुसार तैयार की जाती है । भारत के पास राज्यवार तैयार की गई अपनी क़िस्म है।
होली के त्यौहार पर क्या खाएं और क्या पीएं – आईये डालें एक नज़र इस के गाईड पर:
• गुजिया
• चाट: दही वड़ा, पापड़ी चाट, आलू चाट और बहुत कुछ
• मालपुआ
• ठंडाई एक भारतीय शीतल पेय है जिसे होली के दौरान बड़े पैमाने पर तैयार किया जाता है
• कचौरी– मूंग दाल की कचौरी एक और ऐसा तला हुआ स्नैक्स है जो होली के दौरान लोकप्रिय होता है
• फिरनी
• घीहर जलेबी जैसा ही है, लेकिन आकार में बहुत बड़ा है, थोड़ा अधिक क्रंची भी है। शायद यह त्यौहार की भावना है जो इन घीहरों को इतना स्वादिष्ट बनाती है। यह अजीब है कि भले ही लोग वास्तव में उन्हें पसंद करते हैं, आप उन्हें केवल होली के समय ही प्राप्त कर सकते हैं।
इस वर्ष, होली के अवसर पर MNT ने गुजिया उत्पादकों से मिल कर एक ख़ास कवरेज की है, जिसे हमने आप के सामने रखने का प्रयास किया है।
गुजिया उत्पादकों से हमारा पहला सवाल था- होली की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और सभी लोग कुछ न कुछ नया करने में लगे हैं, इस बार आपकी होली की मिठाइयों और मुख्य तौर पर गुजिया में क्या ख़ास है?
सवाल का उत्तर देते हुए, बम –बम स्वीट्स के दिनेशउपाध्याय, जो धार, मध्य प्रदेश से हैं उन्होंने कहा की उनके क़रीब होली का त्यौहार रंगों अनोखा और सजीला त्यौहार है। उत्साहित होकर उन्होंने व्यक्त किया की, “विगत 2 वर्षों से कोविड के कारण हम इस उत्सव को सही ढंग से नहीं मना पाए। अब जबकि कोविड का असर इस वर्ष से गिरावट पर है तो इस बार होली को धूम-धाम से मना सकते हैं “।
आगे और बात करते हुए दिनेश ने कहा, “होली पर मिठाइयों का अपना महत्व है और मिठाई के बग़ैर हर संस्कृति का त्यौहार अधूरा-सा रहता है। बम–बम स्वीट्स में होली पर, हम विशेष ड्राई फ्रूट गुजिया बनाते हैं। इस में उच्च क्वालिटी के काजू, बादाम, जायफल, जावित्री, और भी सूखे मेवे डाले जाते हैं । फिर इसे देसी घी में धीमी आंच पर तला जाता है। तैयार होने पर इसका स्वाद बेहद लाजवाब हो जाता है।
बॉम्बे स्वीट शॉप, मुंबई से संस्थापक, समीरसेठ ने कहा कि, “पिछले साल हमने फूल की होली की थीम बनाई थी और इस साल हम रंगों के असंख्य रंग दिखा रहे हैं जो इस त्यौहार का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे संग्रह में मिठाई क्लासिक ज़ायक़े को उजागर करेगी जिसे हम सभी होली के साथ जोड़ते हैं। हमारे बेस्टसेलर-चॉकलेट बटरस्कॉच बार्क्स (Chocolate Buttercscotch Barks) और हमारा फज (Fudge) होली की भावना से सराबोर हो जाएगा और साथ ही कुछ नई मिठाइयाँ भी!
हम अपनी अख़रोट की गुजिया भी वापस लॉन्च कर रहे हैं! क्लासिक से प्रेरित होकर, हमारी बनाई गुजिया कलाकंद, गुड़, नारियल, पिस्ता, काजू, चिरौंजी और इलायची से भरपूर हैं!
बृजेश कुमार कुशवाहा, सैनिक स्वीट्स प्र. ल., प्रयागराज, ने हमारे सवाल को सेहराते हुए बोले, “मैं आपके विचारों के तालुख रखता हूँ फिर भी अपने विचारों को आपके साथ साझा करना चाहता हूँ।
मैं आपको यह बताना चाहता हूँ की गुजिया एक पारम्परिक मिठाई है जिसकी लोकप्रियता सर्वाधिक फागुन के महीने में है और उक्त महीने के बीतने के बाद ग्राहकों में इसकी लोकप्रियता कम हो जाती है, ठीक उसी प्रकार जैसे तिल के लड्डू, तिल की गजक और रेवड़ी की लोकप्रियता माघ के महीने में सर्वाधिक रहती है और उसके बाद इसकी डिमांड पूणतया बाज़ार से ख़तम हो जाती है और बहुत हद तक गुजिया के साथ यही समान्यताए है|
हरिलाल वेंचर्स से अमित मनकानी (मैनेजिंग डायरेक्टर), संदीप मनकानी (डायरेक्टर) ने अपनी होली ग्रीटिंग्स MNT के रीडर्स से शेयर की हैं, हमारी ओर से सब ही पाठकों को होली की रंगबाही शुभकामनाएँ! होली का त्यौहार निकट है और ढेर सारी स्वादिष्ट भारतीय मिठाइयाँ खाने का समय आ रहा है। उत्तर भारत में होली का उत्सव बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है और इस त्यौहार की ख़ास मिठाई होती है – गुजिया।
गुजिया एक प्रकार की तली हुई मिठाई होती जिसमें खोया/मावा, सूखे मेवे और सूजी से भरी और चीनी को मैदा के सांचे में भर कर चाशनी में डूबोया जाता है । होली के त्यौहार से जुड़ी यह पारंपरिक भारतीय मिठाई मैदा, ड्राई फ्रूट्स, खोया/मावा, अन्य मेवे और फ्लेवर्स की पसंद के आधार पर तैयार की जाती है।
इस होली, आप का समय बचाने के लिए, हरिलाल की गुजिया एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है। हमारी तैयार की हुई गुजिया शुद दूध, मैदा, चीनी, असली घी, नारियल के गुच्छे, काजू, किशमिश, इलायची, सौंफ के समृद्ध मिश्रण से बन रही हैं ताकि हर बाईट में हर इंग्रेडिएंट का भरपूर स्वाद मिल सके।
इलाहबाद से रोहितकेसरवानी, हीरा हलवाई ने बताया की हमारे यहां गुजिया 12 महीने बनाई जाती है। हमारे यहां गुजिया देशी घी में बनाई जाती है और रोज़ उतनी ही बनाई जाती है जितनी खपत हो जाए। हमारे यहां की गुजिया लोगों को इतनी पसंद है कि वह अपने रिश्तेदारों को दुबई तक भेजते हैं।
साहिल कुमार, गोपाल जी फूड्स, अपने इनोवेशन की बात की के इस साल होली के लिए हमने गुजिया के विभिन्न अंग्रेजी और प्रामाणिक स्वादों की एक श्रृंखला बनाई है।
कुछ नयी खोज के साथ तंजावुर से बी. जी. सुब्रमणि शर्मा – MD, बॉम्बे स्वीट्स ने अपने इनोवेटिव गुजिया के बारे में बताया, “हमारा ब्रैंड 1949 से गुजिया में हमारे नवाचार के लिए जाना जाता है। हमारे संस्थापक स्वर्गीय श्री गुरुदयाल शर्मा जी ने गुजिया की एक नई रेसिपी बनाई और इसका नाम चंद्रकला रखा जिसे दक्षिण भारत में विभिन्न स्थानों पर अपनाया गया । इस होली पर हम क्रैनबेरी चंद्रकला के साथ अपने ग्राहकों की सेवा करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे सभी ग्राहक इस होली में नए ज़माने की मिठाई का आनंद ले सकें”।
MNT का दूसरा सवाल था – क्या आप मानते हैं की गुजिया जैसी मिठाई इंटरनेशनल पटल पर प्रमोट होनी चाहिए, नए-नए स्वादों के साथ?
समीर सेठ ने एकदम हामी भरी, “बिलकुल”!!! मुझे नहीं लगता कि हमें नए स्वादों को पेश करने की आवश्यकता है क्योंकि पारंपरिक गुजिया अपने आप में स्वाद और बनावट में बहुत बारीक है। गुजिया जैसी मिठाइयाँ भारतीय मिठाई बनाने के कौशल और तकनीकों का एक बड़ा प्रतिनिधित्व हैं और इन्हें अवश्य दिखाना चाहिए। यह एक ऐसी मिठाई है जो सब ही को बहुत पसंद और चाव से कहते हैं।
सहमति व्यक्त करते हुए दिनेश उपाध्याय ने अपनी बात रखी, “गुजिया जैसी मिठाइयाँ इंटरनेशनल लेवल पर बिल्कुल प्रसिद्ध होनी चाहिए। गुजिया एक बेहद ही स्वादिष्ठ देसी मिठाई है। हमें गुजिया को नए-नए स्वादों में इंटरनेशनल लेवल पर बहुत अच्छी प्रणाली से प्रमोट कर सकते हैं ।
बृजेश कुमार ने कहा यदि हम बात करे गुजिया के एक्सपोर्ट की, तो गुजिया की शेफ लाइफ अधिक से अधिक सात से दस दिनों की होती है जो तिल के लड्डू की अपेक्षा बहुत कम है जो हम सब जानते है| इसीलिए अगर गुजिया को एक्सपोर्ट लेवल पर लाना है तो इस मिठाई की शेल्फ लाइफ बढ़ने पर काम करना होगा।
मनकानी ब्रदर्स का मानना हैं की गुजिया एक मीठे आधे चन्द्रमा के आकार की स्वीट होती है जिसकी ऊपरी परत कुरकुरी और भीतर मिठास भरा नरम भरावन होता है। भारत में गुजिया के कई रूप हैं और प्रत्येक राज्य/क्षेत्र का अपना भराव होता है जो इस मिठाई को अपना अनूठा स्वाद देता है और पहचान भी । जहाँ तक एक्सपोर्ट की बात आती है तो बिलकुल हम अंतरराष्ट्रीय मंच पर गुजिया को एक्सपोर्ट कर सकते हैं क्योंकि गुजिया एक प्री-प्रीपेयर्ड मिठाई होती है, और शेल्फ लाइफ भी 2 सप्ताह की होती है । गुजिया को रूम टेम्परेचर पर एक एयर टाइट कंटेनर में स्टोर कर सकते हैं ।
रोहित केसरवानी ने भी अपनी राय दी, “वैसे तो गुजिया होली में ज्यादा बनाई जाती है लेकिन 12 महीनों तक लगातार बनाने से वह अब हमारे यहां की विशेष मिठाइयों में गिनी जाने लगी है। क्योंकि लगातार बनाने से उसमें पड़ी सामग्री का एक ही मानक अपनाया जाता है जिससे उसके स्वाद में कोई फर्क भी नहीं आता। गुजिया की शेल्फ-लाइफ काफी अच्छी होती है इसलिए उसमें नई चीजें ट्राई करते रेहनी चाहिए जैसे केसर की गुजिया लोगों को ज्यादा प्रिय होती है।”
साहिल ने कहा, “हां, हमें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय मिठाइयों को बढ़ावा देने की जरूरत महसूस होती है।
सुब्रमणि शर्मा ने पुरज़ोर से गुजिया एक्सपोर्ट के लिए अपना सकारात्मक जवाब दिया और कहा, “हाँ, हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुजिया का प्रचार ज़रूर करना चाहिए क्योंकि इसे कई रूप और स्वाद में ढ़ाला और बनाया जा सकता है जो अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तुरंत हिट हो जाएगा।
MNT ने अपना आख़री सवाल पूंछा, “क्योंकि गुजिया की शेल्फ-लाइफ अच्छी होती है, तो क्यों न ब्रैंडेड गुजिया को नमकीनों की तरह हर किराने की दूकान से बेचा जाये? आपका क्या मानना है?
दिनेश उपाध्याय जी ने अर्ज़ किया की बिल्कुल सही बात है। जिस प्रकार ब्रेनडेड मिठाई किराना दुकानों पर मिलती है उसी प्रकार गुजिया भी मिलनी चाहिए, खास कर ग्रामीण छेत्रो में जहा सस्ते के चक्कर मे गुणवत्ता के साथ छेड़ छाड़ की जाती है। वहां पर पैक्ड ब्रेनडेड गुजिया होना आवश्यक है।
समीर सेठ, ताज़ा बनी गुजिया खाने जैसा कुछ भी नहीं है क्योँ की पर्तदार और कुरकुरी बनावट इसे इतना ही पसंदीदा बनाती है। जबकि मैं अभी भी कढ़ाई से ताज़ा गुजिया खाना पसंद करूंगा, अगर कोई हलवाई उसी बनावट और स्वाद को बनाए रखने में सक्षम है, तो शेल्फ लाइफ भी बढ़ा सकता है। गुजिया एक्सपोर्ट? क्यों नहीं!!! यह उन लोगों के लिए सुलभ हो जाएगा जो इसे अपने घरों में नहीं बना पा रहे हैं या अपने आस-पास की मिठाई की दुकानों में नहीं पा सकते हैं।
बृजेश कुमार, के विचारानुसार, “गुजिया को किराने की दुकान में बेचा जा सकता है बशर्ते उसे रवा-बेस्ड बनाया जाये।
“अगर कोई व्यक्ति गुजिया ख़रीदना चाहता है तो वह सबसे पहले मिठाई की दुकान पर जाकर ताज़ा गुजिया लेगा। गुजिया ताज़ा और बिना मिलावट की होनी चाहिए और इस की जांच करना भी महत्वपूर्ण है। चूंकि खोये की शेल्फ-लाइफ बहुत कम होती है, मावा-फिलिंग के कारण गुजिया लगभग 3-4 दिनों तक ताज़ा रह सकती है । यदि हम सूजी से भरण करते हैं तो यह शेल्फ-लाइफ को बढ़ाने में मदद करेगी । तो बेहतर है कि गुजिया में रवा-बेस्ड फिलिंग हो और इस तरह ब्रैंडेड गुजिया अपनी जगह रिटेल शॉप में पा सकती है,” सही राय देते हुए मनकानी ब्रदर्स बोले।
साहिल कुमार, किराने की दुकानों पर गुजिया की बिक्री पर एक ट्रायल दिया जाना चाहिए, लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इसे केवल खुदरा काउंटरों पर ताज़ापैक और बेचा जाना चाहिए। इससे मिठाई की दुकानों पर अच्छी पकड़ बनाए रखने में मदद मिलेगी।
रिटेल सेल्स को लेकर सही दृष्टिकोण और बेहतर रणनीतिक अनुसंधान और विकास के साथ, गुजिया को सुपरमार्केट में सही पैकेजिंग के साथ बेचा जा सकता है, ऐसा सुब्रमणि शर्मा का विचार है।
तो इन सब विचारों का सारांश यह रहा की अगर हम कोशिश करें तो हम हिनुस्तान के साथ – साथ पूरी दुनिया के कोने-कोने तक अपनी नवाचार मिठाइयाँ पहुंचा सकते हैं, और दिखा सकते हैं की न केवल मल्टी- नेशनल कम्पनीज़ बल्कि हिंदुस्तान की ट्रेडिशनल मिठाइयाँ अति लोकप्रिय हो सकती हैं। तो क्योँ न इस पर ध्यान दे कर हम अपना और अपने मुल्क का नाम को आगे ले जाएँ।