होली के बाद रमज़ान ने चमकाया कारोबार मिठाई व नमकीन की बिकरी में बहार, लगातार

इफ़्तार एक बहुत ही आकर्षक दस्तरख़्वान होता है जिस पर हर तरह की मिठाई, नमकीन, फल और शर्बत रखे जाते हैं। इफ़्तार के वक़्त सब एक साथ बैठकर रोज़ा इफ़्तार करते हैं और यह नज़ारा देखते ही बनता है। परिवार और रिश्तेदार एक साथ इस इफ़्तार का भरपूर आनंद लेते हैं। शानदार बिरयानी से लेकर मज़ेदार मिठाईयों तक, इफ़्तार ऐसा खाना है जो कोई भी मिस नहीं करना चाहेगा।

इफ़्तार के अंत में लोगों को स्वीट डिश का बेसब्री से इंतज़ार रहता है जो मिठाई के रूप में सामने आती है। किसी हद तक यह केवल आदत और ज़रुरत का नतीजा हो सकता है। हालांकि, शारीरिक ज़रुरत को मद्देनज़र रखते हुए, यह सच है कि रोज़े के दौरान शरीर के शुगर के स्तर में गिरावट आती है और यदि शेष भोजन पर्याप्त संतुलित नहीं होता है तो फिर भी इसे संतुलित करने की आवश्यकता पड़ सकती है।

चीनी खाने से आपके मस्तिष्क को एक अच्छा रसायन, ‘डोपामाइन‘ को बड़ा बढ़ावा मिलता है। फलों और सब्ज़ियों जैसे खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले प्राकृतिक शुगर, मिठाई और कन्फे़क्शनरी जैसे डोपामाइन रिलीज़ को ज़्यादा उत्तेजित नहीं करते हैं, यही वजह है कि आपका दिमाग़ आपको रोज़े के आखि़र में कुछ मीठा खाने के लिए कहता है।

इफ़्तार में तरह-तरह की मिठाईयाँ परोसी जाती हैं। लोग अक्सर कुछ मीठा खाकर अपना रोज़ा खोलना पसंद करते हैं। इसके अलावा रिवायती मिठाईयों की अच्छी ख़ुराक के साथ दिलकश खाना किसे पसंद नहीं है और भारतीय मिठाई वह रसीला व्यंजन है जो सचमुच पूरे रोज़े के बाद ख़ुशी और ऊर्जा में तब्दील हो जाती है। शुद्ध दूध की गुणवत्ता, केसर और मेवों के कुरकुरेपन से भरपूर, और कई अन्य तत्व आपके मुंह में एक ऐसा स्वाद छोड़ जाते हैं जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगे।

लिहाज़ा यह ग़ौर करने वाली बात है की, रमज़ान बिलाशुबा (निर्विवाद रूप) मिठाई बिक्री को बढ़ाता है और ‘‘मीठी ईद” मिठाई उद्योग के साथ-साथ स्थानीय मिठाईवालों के लिए एक बोनैंजा सेल जैसी बिक्री होती है। सांख्यिकीय रूप से इन त्यौहारों की बिक्री पर समान प्रभाव पड़ता है क्योंकि दिवाली या होली विशेष त्यौहार के लिए मिठाई की विशिष्टता अलग हो सकती है लेकिन बिक्री भरपूर होती है।

मिठाई, रमज़ान और ईद के संबंध को और अधिक समझने के लिए, ‘‘मिठाई और नमकीन टाइम्स‘‘ ने मिठाई उद्योग की कुछ प्रसिद्ध हस्तियों से बात की यह देखने के लिए कि वे इन त्यौहारों के दौरान मिठाई के महत्व को कैसे अनुभव करते हैं और समझते हैं।

रमज़ान के महीने में मिठाई की बिक्री

जब कोई रमज़ान के इफ़्तार के बारे में सोचता है, तो उसके दिमाग़ में बहुत सारी डिशेस आती हैं-देग़ में पकता हुआ खिचड़ा, दही भल्ले से भरे डोंगे, लच्छेदार कुलचे, लाल सिके हुए पराठे, नान और रोटियाँ, डीप ड्राइड कुरकुरे रोल्स, पानी के बताशे, अनगिनत भरवां समोसे, प्याज़-आलू-पालक-बड़ी मिर्च के भजिये और पकोड़े, खट्टी-मीठी चटनियों के साथ परोसे जाते हैं। और इन सब ज़ायक़ेदार खानों में चमकते हुए सितारे जैसे मिटटी के सिकोरे में सजी फ़िरनी, रबड़ी के लेयर के साथ मालपुआ, केसर-मेवे वाली खीर, शाही टुकड़े, रसमलाई, सुतर फ़ेनी, दूध में बनी सिवैय्याँ,… मुझे लगता है कि इससे बेहतर रोज़ा इफ़्तार का शायद कोई और तरीक़ा नहीं हो सकता।

मिठाई उद्योग रमज़ान के महीने का महत्व बख़ूबी पहचानता है और इसी दौरान अपने मुस्लिम भाईयों के लिए विशिष्ट मिठाई बनाने में ख़ुशी हासिल कर अपनी बनाई मिठाईयों से बाज़ार को भर देता है। सुतर फ़ेनी, खाजा, बालूशाही, शाही टुकड़े, सिवैय्याँ ऑर्डर पर बनाई जाती हैं। मगर यह न भूलें की बाक़ी पारंपरिक मिठाईयाँ भी इन दिनों भी बड़े पैमाने पर बनाई और सेल की जाती हैं।

 K.C. Das Pvt Ltd के धीमान दास दिल से मानते हैं कि रमज़ान का पवित्र महीना एक अनोखा रंग और ख़ुशियाँ लेकर आता है। चारों ओर अपार रौशनी, ख़ुशी और प्रार्थना का माहौल बना रहता है। सवेरे से ही मिठाईयों की दुकान खुल जाती हैं जहाँ हर रंग की ताज़ी मिठाईयाँ तैयार की जाती हैं, जो रमज़ान में बहुत बड़े पैमाने पर उनकी बिक्री होती हैं। क्योंकि मुस्लिम भाई पूरे महीने रोज़े रखते हैं, इसीलिए इफ़्तार के वक़्त ठंडी चीज़ें खाना पसंद करते हैं। ठंडी मीठी का मतलब दूध और दही से बनी मिठाई। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि रमज़ान में मिठाई की बिक्री में बहुत वृद्धि हुई है‘‘। 

अगर बिज़नेस के नज़रिये से देखेंगे तो मिठाई और नमकीन का कारोबार रमज़ान के महीने को बहुत एहमियत देता है, इलाहाबाद से हाजी क़ादिर स्वीट हाउस, शफ़ीक़-उर-रहमान ने कहा। इमरती, जलेबी, हलवा-पराठे, बड़ी बालूशाही, शाही टुकड़े जैसी मिठाईयाँ इस दौरान बहुत पसंद की जाती हैं। साथ ही सेहरी के लिए सूतफे़नी, खाजा की भी काफ़ी मांग रहती है। ‘‘हम रमज़ान के आगमन से एक सप्ताह पहले स्वीट हाउस में सूतफे़नी और खाजा बनाने का काम शुरू कर देते हैं‘‘।

कोलकाता से मोती कन्फेक्शनरी प्राइवेट लिमिटेड, महबूब ख़ान का मानना है कि रमज़ान का महीना मिठाईयों से जुड़ा है। “सेहरी में भी मिठाई है और इफ़्तारी में भी!!! रमज़ान के इस महीने में सेहरी में गाजर का हलवा, फ़िरनी, पायसम, सिवईयाँ, रबड़ी और गुलाब जामुन ख़ूब बिकती हैं और हमारी मीठी रोटी और लच्छा बहुत मशहूर है “।

फ़िरनी और गाजर का हलवा सबसे ज़्यादा बिकने वाली मिठाईयों में से है। इफ़्तारी में भी मीठा दही और लस्सी की अच्छी खपत रहती है। सच तो यह है कि मिठाईयों के बिना न रोज़ा पूरा होता है और न ही ईद। हर त्यौहार की शान होती हैं मिठाईयाँ!!!

इंदौर से अनिल सैनी, भंवरीलाल मिठाईवाला ने दर्शाया कि रमज़ान का महीना पवित्र और आनंदमय महीना है। इफ़्तारी और सेहरी बनाते वक़्त भँवरीलाल में मिठाईयों के लिए विशेष तेल इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इस महीने मिठाईयों की बिक्री सामान्य से ज़्यादा होती है, ख़ासतौर पर दूध से बनी ठंडी मिठाईयाँ सूखे मेवों के साथ खाई जाती हैं और ज़्यादा बिकती हैं।

“अगर हम दैनिक बिक्री के बारे में बात करें, तो हमारे पास शाम के समय अच्छी बिक्री होती है। जैसे-जैसे इफ़्तार का वक़्त क़रीब आता है, सेल्स में भी सुधार आता रहता है। रमज़ान के अलावा, किसी अन्य अवसर या किसी अन्य महीने में, बिक्री काफ़ी सुस्त होती है, ख़ासकर मुरादाबाद मेंमुरादाबाद के सत्यम अरोड़ा, कुंदन स्वीट्स, ने कहा।

अहमदाबाद के कमलेश कंदोई, कंदोई भोगीलाल मूलचंद के अनुसार, उन्हें रमज़ान के दौरान शाम को अधिक ग्राहकी मिलती है और ईद के समय तो सब से बड़ी बिक्री हासिल होती है।

“हम अपने सभी डेज़र्ट को बनाने में असली घी का इस्तेमाल करते है, ख़ासतौर से मोहन थाल-और इसका बिरयानी के साथ एकदम सही मेल है। इसके अलावा लोग हमारी कुरकुरी काजू मिठाईयों का आनंद लेते हैं, जिन्हें हमारी विश्व प्रसिद्ध मिठाई भी माना जाता है। ग्राहक एक दूसरे को भेंट करने के लिए हमारे यहाँ से गिफ़्ट हैंपर्स ले जाते हैं”, उन्होंने स्पष्ट किया।

आगरा के अमित गोयल जो गोपालदास पेठावाला के डायरेक्टर हैं, उन्होंने व्यक्त किया की रमज़ान और मीठी ईद के दौरान मिठाई की बिक्री में काफ़ी बढ़ौत्री हो जाती है और बिज़नेस भी बढ़िया रहता है ।

उन्होंने बताया, कई लोग इफ़्तारी के लिए सिवईयाँ, फे़नी और बालूशाही खाते हैं और साथ में दाल मोठ का भी सेवन करते हैं। और जैसे आगरा में, गुड़ के पेठे को दाल मोठ के साथ खाने का चलन है, एक स्वादिष्ट मीठा-नमकीन कॉम्बो जो इस क्षेत्र के लिए विशिष्ट है। आमतौर पर आगरा के प्रसिद्ध दाल मोठ के साथ लाल ख़ानसारी पेठे का उपयोग किया जाता है।

अलीगढ़ के मुदित गोयल, कुंजिलाल स्वीट्स, ने बताया, ‘‘हमारे उद्योग में रमज़ान का महीना हमारे व्यवसाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी भारतीय त्यौहारों के लिए उपभोक्ताओं की कुल संख्या मुस्लिम ग्राहक त्यौहारों की कुल संख्या के समान है।‘‘

“एक बहुत आकर्षक बात अलीगढ़ में देखी गयी है वो है यहाँ कि गंगा-जमुना संस्कृति, जो इसके सभी निवासियों को बेहद पसंद है और रमज़ान एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहार है। रमज़ान ईद के दौरान, हम अपने शहर में पूरे 5 दिवसीय ईद उत्सव का आनंद लेते हैं।‘‘

लखनऊ के सृजल गुप्ता, मधुरिमा स्वीट्स से हैं और उनका मानना है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतते हैं कि सभी का ध्यान रखा जाए। “अगर हम नवरात्रि के लिए कुछ अच्छा करते हैं, तो हम रमज़ान के लिए भी कुछ अच्छा बनाते हैं। हमारे पास भारतीय तिथियों की पूरी श्रृंखला उपलब्ध है।

हम खजूर की नई मिठाईयाँ बनाते हैं, जैसे नारियल खजूर, कैपेचीनो खजूर, पिस्ता खजूर, बादाम खजूर और कई तरह की डॉयफ्रुइट्स से भरे हुए खजूर। इसके अलावा, हम कस्टम आधार पर सेवई का उत्पादन भी करते हैं“।

“लोग हमारे स्नैक पैकेज का आनंद लेते हैं, जिसमें कई तरह स्नैक के अलावा खजूर और प्रीमियम बादाम दूध जैसे उपहार शामिल हैं। हम ‘‘डेट्स बाईट‘‘ नामक ट्रीट का भी निर्माण करते हैं। नतीजतन, हम स्नैक पैक बनाते हैं, जो इफ़्तारी के दौरान काफ़ी फ़ायदेमंद होते हैं। यह फ़ूड बॉक्स अधिक मात्रा में ख़रीदी जाती है और इफ़्तार के दौरान सब से ज़्यादा इसका कंज़म्शन होता है”,  सृजल ने सूचित किया।

विवेक मित्तल, बीकानेर एलाइट, पटना से बताते हैं कि 4 बजे तक बिक्री काफ़ी कम होती है, लेकिन जैसे-जैसे शाम ढ़लती है, यह सिर्फ़ 3 घंटे में बिक्री की मात्रा से 1.50 गुना बढ़ जाती है। हमारा स्टोर हिंदू और मुस्लिम आबादी के केंद्र में स्थित है तो हमारे पास हर त्यौहार में अलग ही आनंद और उल्हास का माहौल रहता है। जैसे अभी रामनवमी थी, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में दर्शक थे, और परिणामस्वरूप, हमारी बहुत बिक्री हुई। अभी शादियों का मौसम आ रहा है, उसके लिए भी अभी से कई सारे ऑर्डर आ रहे हैं। हमरा रेस्टोरेंट भी है इसीलिए  हमारे बहुत ग्राहक भी हैं। इतना हम आपको बता दें कि हमारा रेस्टोरेंट पुरे रमज़ान में प्रति दिन अगले तीन घंटे तक पूरी तरह से भरा हुआ मिलेगा।

रमज़ान की स्पेशल मिठाईयाँ

रमज़ान दावत का भी पर्याय है और पूरे महीने मुसलमान अपनी मेज़ को आकर्षक खानों से सजाना पसंद करते हैं, लेकिन रिवायती मिठाईयाँ आज भी अपनी सुप्रीम जगह इस दस्तरख़्वान पर बनाये हुए हैं, चाहे सेहरी में फे़नी हो या इफ़्तारी में सिवईयाँ, मिठाई हमेशा से ही ज़रुरत का सामान रहेंगी।

मुदित गोयल के अनुसार उनकी विशेषता फे़नी है जो शुद्ध घी से बनी होती है और रमज़ान के पूरे महीने में बेची जाती है, क्योंकि मुसलमान अपनी सहरी की शुरुवात फे़नी से करते हैं।

कुंजिलाल में आकर्षक मिठाईयाँ, खोये की मिठाईयाँ और पतीसा सहित ईद की कई तरह की तैयारियाँ होती हैं, पतीसा की एक महीने की शेल्फ़-लाईफ़ होती है यह बेसन सोनपापड़ी का दूसरा नाम है। यह सब से ज़्यादा बेची जाने वाली सबसे अच्छी मिठाई में से एक है। साथ ही कुंजिलाल की सभी मिठाईयाँ देसी घी से बनाई जाती हैं, जिसमें अद्भुत स्वाद होता है, इसलिए गर्मियों में बिक्री कम होने का कोई कारण नहीं है।

“हम अपने मुस्लिम ग्राहकों के लिए अनुकूलित पैकेजिंग भी विकसित कर रहे हैं। हम इस अवसर पर अपने ग्राहकों के लिए मिठाई बांटने के लिए एक ईद बॉक्स बना रहे हैं” मुदित ने ख़ुलासा किया।

शफ़ीक़-उर-रहमान बताते हैं कि इफ़्तार के समय ज़ाफ़रानी इमरती और जलेबी, बड़ी बालूशाही, हलवा-पराठा, गुलाब जामुन, लोंगलता, शाही टुकड़े आदि की मांग ज़बरदस्त होती है। साथ ही जैसे-जैसे ईद नज़दीक आती है, विभिन्न प्रकार की मिठाईयाँ बनना शुरू हो जाती हैं।

महबूब ने कहा, ‘‘जैसा की हम सभी जानते हैं की रोज़े रखते वक़्त सिर्फ़ दो बार खाना खाया जाता है, और इसीलिए रमज़ान से पहले, बहुत सारी तैयारियाँ करनी पड़ती हैं, फिर कहीं जाकर एक साल के बाद हमें इस त्यौहार का उत्साह मिलता है, जिसके दौरान पूरे महीने सभी तरह की मिठाईयों का सेवन होता रहता है।

दिन भर के रोज़े के बाद मिठाई का सेवन एनर्जी बढ़ाने का काम करती है। ईद का चांद लगते ही एक और नए तरह का उल्लास देखने को मिलता है और मिठाईयों की दुकानों पर भीड़ लग जाती है। ईद की ज़्यादातर मिठाईयाँ चांद रात में बिकती हैं।

वैसे तो हम रमज़ान में बहुत सारी तैयारी करते हैं, लेकिन जैसा मैं ने आपको पहले बताया, रमज़ान में लोग ठंडी चीजें खाना पसंद करते है, हमारी मिष्टी दोई सबसे ज़्यादा खाई जाती है क्योंकि हमने इसका स्वाद इस तरह रखा है कि सभी उम्र के लोग इसे खाना पसंद करते हैं” धीमान दास ने सूचित किया और कहा कि ‘‘रसमलाई, जो हमारी एक और विशेष मिठाई है, शुद्ध दूध का उपयोग करके बनाई जाती है, जो रमज़ान के दौरान अधिकतम मात्रा में खपत होती है।

जब की सत्यम अरोड़ा ने बताया कि रमज़ान में शाम के समय इमरती और जलेबी के साथ रबड़ी सबसे ज़्यादा बिकने वाला उत्पाद है, और उनकी प्रसिद्ध रसमलाई का सेवन बड़ी मात्रा में किया जाता है। और रात के समय 8 से 9 बजे के बाद बादाम दूध और ऐसे ही अन्य उत्पादों का अधिक सेवन में लाया जाता है।

आम का मौसम आ गया है, अब बड़ी मात्रा में आम की बर्फ़ी का उत्पादन किया जा रहा है। कमलेश भाई ने बताया कि घी से बनी मिठाईयाँ अधिक लोकप्रिय हैं, और कुरकुरे काजू-अखरोट से बनी मिठाई को उपहार के रूप में पसंद किया जाता है। इसके अलावा, अगर लोगों को भारत के बाहर किसी को उपहार के रूप में कोई मिठाई पेश करनी होती हैं तो काजू मिठाई को अक्सर उपहार के रूप में देना पसंद करते हैं ।

हमारे देश में सबसे लोकप्रिय मिठाई-सेवई, फ़ेनी और बालूशाही हैं। “हम यहां जो फ़ेनी पेश करते हैं, वह विशेष रूप से रमज़ान के लिए तैयार की गई हैं। रमज़ान फे़नी को इस तरह से पकाया जाता हैं जब तक वह पूरी तरह से लाल नहीं हो जाती, इसे हमारे यहाँ रमज़ान की विशेष फे़नी के रूप में जाना जाता है”, अमित गोयल ने कहा।

‘‘एक और चीज़ है जिसमें हम माहिर हैं, वह हैं हमारी विशेष बालूशाही जो रमज़ान में ख़ासतौर से बनाई और खाई हैं, जो काफ़ी प्रसिद्ध है। खाजा हैदराबाद में भी बनता है। लेकिन हम एक अलग तरह का खाजा बनाते हैं जिसे हम बालूशाही खाजा भी कहते हैं। यह बिल्कुल अनोखा है। इस बालूशाही खाजा में कई परतें होती हैं और एक बढ़िया स्वाद भी है‘‘, उन्होंने कहा।

सृजल गुप्ता का कहना है कि उनके पास खजूर से बना एक उत्पाद है जो पूरे रमज़ान में उपलब्ध है। ‘‘इसके अलावा, सेवई की अत्यधिक मांग है, जो हमें विशेष और स्थायी ऑर्डर प्रदान करती रहती है, और हम उन्हें पूरी तरह से ऑर्डर पर बनाते हैं। जैसे-जैसे ईद नज़दीक आएगी, हमारे गिफ़्ट पैक्स का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होता जाएगा। हमारा तुर्की बाकलावा है, जो बहुत ज़्यादा डिमांड में रहता है, और एक नया ट्रेंड सामने आया है जिसमें लोग इफ़्तार में बाकलावा का सेवन ज़रूर करते हैं।

‘‘सामान्य रूप से तैयार किया गया बाकलावा हमारा ख़ास तैयार किए गए तुर्की बाकलावा के समान नहीं है। इसकी अनूठी विशेषता यह है कि इसमें प्रयुक्त शीट तुर्की से मंगवाई जाती है। हम इसमें चीनी का उपयोग नहीं करते हैं, बल्कि शुद्ध शहद का उपयोग करते हैं, इसीलिए कैलोरी का ध्यान रखने वाले भी इसका आनंद ले सकते हैं, गुप्ता ने कहा।

अनिल सैनी ने कहा कि ईद का चाँद दिखते ही दुकानों में रौनक़ आ जाती है और सुबह की नमाज़ के तुरंत बाद एक अनोखा और ख़ुशनुमा माहौल बना रहता है। दुकान में क्षमता से अधिक ग्राहक होते हैं और आस-पास मिठाई खाने वालों की भीड़ लगी रहती है। ईद के 8 से 10 दिन बाद तक मिठाईयों की ख़रीदारी चलती है। इफ़्तार पार्टियों और उपहारों में मिठाईयों के आदान-प्रदान का चलन भी मिठाईयों के थोक ऑर्डर का मुख्य कारण होता हैं।

उपसंहार

रमज़ान का महीना इबादत, रोजे़ और दावत की भावना को ख़ूबसूरती से जोड़ता है, इसके मूल में प्रार्थना, उत्सव और स्वादिष्ट मिठाई होती है।

मिठाई हमेशा से सेहरी से लेकर इफ़्तार तक रमज़ान का एक अभिन्न हिस्सा रही है, जबकि कई लोग फ़ेनी खाना पसंद करते हैं, जो ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है, इफ़्तार में, सिवईयाँ, रसमलाई और शाही टुकड़े जैसे मीठे व्यंजन जो विदेशी भोजन से बिल्कुल अलग होते हैं, उनका सेवन भी रहता है।

मिठाई उद्योग वर्षों से अच्छी बिक्री के लिए इस पवित्र महीने पर भी निर्भर है। इफ़्तार, कुछ साल पहले तक, ग़रीबों की सेवा करने के बारे में अधिक था और इसमें रोज़ा इफ़्तार के लिए तीन-चार आईटम शामिल थे, जिसमें खजूर, फल और एक साधारण भोजन शामिल था। आज, यह भव्य उत्सव बन गया है जहां मिठाई स्वाद और ऊर्जा की प्रमुख इच्छाओं में से एक है।

भारत में किसी भी अन्य त्यौहार की तरह, रमज़ान और ईद के दौरान हमारी पारंपरिक मिठाई की बिक्री भी बढ़ौत्री होती है। वास्तव में इस ईद को ‘‘मीठी ईद‘‘ भी कहा जाता है क्योंकि यहां की स्टार डिश है-मिठाई – सिवईयाँ, इसके अलावा रसमलाई, लड्डू और खीर आदि शामिल हैं।

मिठाई उद्योग ने इन त्यौहारों पर अधिक बिक्री और बेहतर सौदों के लिए वर्षों से बहुत मेहनत की है और आगे भी अपने प्रदर्शन देती रहेगी।