भारतीय मिठाई इंडस्ट्री पारम्परिक धरोहर को बचाने में कामयाब हुई है या नहीं ? Introductory Part

कुछ अनछुए पहलुओं से साथ!

परिचय

भारत एक संस्कृति प्रधान देश है जहां परिधान और पकवान संस्कृति का अभिन्न अंग है प्रत्येक राज्य तथा क्षेत्रीय स्तर पर परिधान एवं पकवान की परंपरा है। पकवान में अनेक प्रकार के व्यंजन जिनके स्वाद से हमें आनंद की अनुभूति होती है।

अगर पकवानों इतिहास की बात करें तो वह ख़ासा पुराना है। कुछ क्षेत्रों ने अपनी संस्कृति की विरासत को लम्बे समय से संजोकर रखा है। पारंपरिक मिठाइयों और नमकीन ने ख़ुद को वास्तव में इतिहास का एक बड़ा हिस्सा बना लिया है जो ना जाने कितनी पीढ़ियों से चला आ रहा है, या हम यूँ कहें कि 150 से 200 वर्षों का इतिहास है , जो पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है। बात यह भी सही है कि वे समय और गुणवत्ता की कसौटी पर खरे उतरे हैं। हमने यह भी जाना कि जो कल के बच्चे थे और आज के युवा , वह गर्व से कहते हैं कि हाँ, यह मिठाई हो या नमकीन हमारे दादा परदादा के ज़माने से चली आ रही है और इसे हम आगे चलकर अपने बच्चों को विरासत में प्रदान करेंगे।  

इतने वर्षों से उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स कि लोकप्रियता को बढ़ाने और बनाये रखने में कितनी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना किया, नयी तकनीकों के साथ पुराने स्वाद को बनाये रखा यह वाक़ई में एक बहुत अद्भुत कार्य है।

हमने यह भी देखा मिठाई हो या नमकीन कुछ रेसिपीज़ समय और स्वचालन के साथ बदल गयी हैं लेकिन कुछ में कोई फ़र्क़, या बदलाव नहीं मिलता लेकिन आज भी वह सब मार्किट में मौजूद हैं।  जब हमने उन दिग्गजों से बात की, कि जिन के पास उनके पूर्वजों की वह अमानत आज भी मौजूद है तो हमें बड़ी हैरत हुई यह जानकर जब उन्होंने ने हमें यह बताया कि उनके पूर्वजों से मिली विरासत/रेसिपी को वह इस्तेमाल में लाते हैं और फिर उसे तिजोरियों में संभाल कर रख देते हैं। है ना , बड़ी हैरानी कि बात… रेसिपी और वह भी तिजोरी में !! क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है? जी बिलकुल है लेकिन यही सच है जब हमने उनसे सुना तो हमें भी उतनी ही हैरानी हुई …। वास्तव में वहाँ बिक्री कभी कम नहीं हुई है!

ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ मिठाई ही को ज़्यादा मान दिया जाता है नमकीन के लिए भी लोगों में वही चाह देखी गयी। या यूँ कहूं कि पूरी कचौड़ी हो या छोले भटूरे हों ,बालूशाही हो या पेड़ा, या हो वह सुबह नाश्ते में खाने वाली थाली, सब के लिए एक ही तरह की लोकप्रियता और सनक, शायद यही शब्द सही रहेगा। आज, भारत में लगभग 1,000 स्नैक्स आईटम विभिन्न स्वादों, रूपों, बनावटों, सुगंधों, आधारों, आकारों और भरावों में फैले हुए हैं। इसके अलावा, आज हमारे देश में लगभग 300 से भी ज़्यादा प्रकार की नमकीन बिकती हैं लेकिन मिठाई के आंकड़े नहीं पाए जाते क्योंकि वह हर एक मिठाई बनाने वाले का ख़ुद का आविष्कार होता है ।

हमें इस बात का भी अनुमान हो गया कि मौसम का प्रभाव मिठाई पर ज़्यादा पड़ता है जब कि नमकीन व नाश्ते पर मौसम के कुछ ख़ास असर नहीं देखे गए।   

मिठाई और नमकीन टाइम्स” ने इस प्रकार की मिठाई और नमकीन के उत्पादकों की खोज-बीन करने के लिए गहरा ग़ोता लगाया जिसमें ऐसी मिठाई व नमकीन पायी गयी जो 150 – 200 सालों से चली आ रही हैं, प्रसिद्ध हैं और लोगों के दिलों पर छाई हुई है। इतने वर्षों से उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स कि लोकप्रियता को बढ़ाने और बनाये रखने में कितनी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना किया, नयी तकनीकों के साथ पुराने स्वाद को बनाये रखा यह वाक़ई में एक बहुत अद्भुत कार्य है।

आईये हम आप को उन महान पीढ़ियों से अपने लेख के माध्यम से परिचित कराते हैं और वह सभी लोग प्रशंसा के योग्य हैं कि जिन्होंने अपनी पूर्वजों की परंपरा को आज भी बरक़रार रखा है।

Continued with the interviews on separate pages…