“मिठाई और नमकीन के निर्माता त्यौहार और पीक सीज़न की तैयारी कैसे करें”

मिठाईयों के शब्दकोश, मिठाई निर्माताओं के लिए एक बाइबिल की तरह है क्योंकि यह हमें बताती है की त्यौहार और पीक सीज़न की तैयारी कैसे की जाए । प्रतियक वर्श सीज़न के समय कच्चे माल और पैकेजिंग पर उद्योग को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा श्रम का वितरण और उनकी दक्षता भी सवालों के घेरे में आती है। 

अधिकांश निर्माण इकाईयों में ऑटोमेशन के प्रवेश के साथ मिठाई उद्योग अनिर्णायक है क्योंकि इसके कई उत्पाद अभी भी कारीगरों द्वारा किए जाते हैं, इस मुद्दे पर चर्चा करते मिठाई और नमकीन टाईम्स इस समस्या के समाधान के लिए कुछ ऐसे सुझाव प्रस्तुत कर रहा है की एक मिठाई निर्माता त्यौहार के मौसम से पहले कैसे तैयार रहें।

प्रस्ताव

हमारे जीवन में मिठाई को एक विशेष स्थान दिया गया है। आप दुनिया के किसी भी कोने की यात्रा करें, मिठाई के सभी रूप और विविधताओं के लिए लोगों के स्नेह देख सकते हैं।  मिठाई और स्नैक्स आवश्यक घटक (constituent) हैं , जिन्हें भारतीय उत्सवों और त्यौहार के दौरान कभी भी अनदेखा नहीं किया जा सकता  है। अधिकांश भारतीय मिठाईयाँ दूध और घी का उपयोग करके बनाई जाती हैं और इसके मूल के बिना कोई भी भारतीय उत्सव पूरा नहीं होता है।

जब भारतीय मिठाईयों की बात आती है, तो आपको कई तरह की मिठाईयाँ मिल जाएँगी जिनका स्वाद एक ही दिन में लेना संभव नहीं है। बंगाली मिठाईयाँ, खोया मिठाईयाँ, पारंपरिक मिठाईयाँ यह मिठाईयाँ भारत में सबसे लोकप्रिय हैं। चाहे गर्मी हो या सर्दी, भारतीय मिठाईयों का मुक़ाबला अन्य किसी भी चीज़ से नहीं हो सकता। रसगुल्ला जैसे बंगाली मिठाई, गुलाब जामुन, कुल्फ़ी, गाजर का हलवा इत्यादि के बिना एक शानदार भारतीय भोजन हमेशा अधूरा रहता है।

अब बात करते हैं स्नैक्स की जो भारत में, नाश्ता कहलाता है जिसका सेवन दिन के किसी भी समय किया जा सकता है। 

भुजिया हो या नमकीन, नवरतन मिश्रण हो या चिप्स, समोसें हो या पकोड़े,  हमारे त्यौहार इन के बिना भी अधूरे रहते हैं।

वास्तव में उत्सव सीज़न अपने साथ मिठाई और नमकीन निर्माताओं के लिए भारी चुनौती भी लाते हैं। निर्माण की प्रक्रिया, अपव्यय (wastage) से बचने का तनाव, सर्वोत्तम स्वाद लाने की प्रतिबद्धता और खाद्य गुणवत्ता का दबाव उन पर लगातार बना रहता है।

त्यौहार के मौसम के दौरान मिठाई निर्माताओं को कच्चे माल और संसाध. नों की ख़रीद में निवेश करते समय बहुत सावधान रहने की आवशक्ता होती है। इस दौरान मिठाई, नमकीन और स्नैक्स की मांग काफ़ी बढ़ जाती है और हर साल का रिकॉर्ड तोड़ देती है। मांग बढ़ने के कारण उत्पादन के लिए कुछ अन्य विभागों में तैयारी की कमी के कारण मिठाई कंपनियों को परीक्षण और अशांति का सामना करना पड़ता है।

इसके अलावा पैकेजिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, मुद्दा यह है कि निर्माताओं को योजना बनाने और इस पर प्लान करने की ज़रूरत है कि उन्हें कितने पैकिंग बॉक्स या सामग्री की ज़रूरत है ताकि गंभीर अपव्यय से बचा जा सके। साथ ही आकर्षक पैकेजिंग बॉक्स का होना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मिठाई को आकर्षित और बिक्री में बढ़ावा देता हैं। 

इसके अलावा, हाल ही में ऑटोमेशन ने मिठाई और नमकीन उद्योग के रसद में एक बड़ी सफ़लता प्राप्त की है। ग्राहकों की मांग बढ़ रही है, और इस क्षेत्र के उत्पादों की विशिष्ट प्रकृति के लिए स्टोरेज के अधिक से अधिक नियमों को लागू करने की आवश्यकता है।

स्वचालन इसे आसान बनाता है, लेकिन एक ही समय में बहुत सी मिठाईयां कारीगरों द्वारा बनती हैं अतः उन्हें बनाने की मैन्युअल प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। अनयथा वह अपनी वास्तविकता खो सकती हैं। त्यौहार के वक़्त मिठाई निर्माताओं को एक मज़बूत खिलाड़ी के रूप में और नरमी सेे पेश आने की ज़रुरत हैं। 

कच्चे माल की ख़रीद प्रक्रियाः

विनय दीक्षित, मिठास, नॉएडा, के कंसलटेंट हैं।  उन का आकलन है कि कच्चे माल की ख़रीद एक रणनीति-पूर्ण क़दम है जो पर्याप्त रूप से प्रयोग नहीं किए जाने पर प्रोफ़िट मार्जिन को खा जाएगा। कच्चे माल के नुक़सान का महत्वपूर्ण कारण विशाल बचे हुए स्टॉक हैं, आपातकालीन ख़रीद तथा मुद्रास्फ़ीति (rate of  inflation), का कारण कच्चे माल की शेल्फ़-लाइफ़ और भंडारण के दौरान संक्रमण है।

कच्चे माल की ख़रीद का ठीक से मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है 

उत्पादन योजना और तार्किक पूर्वानुमान (logical forecasting)- 

मुख्य रूप से यह क्रिया उत्पादन के किसी भी दिन के लिए कच्चे माल की आवश्यकता को अंतिम रूप देने में मदद करेगी। यह विकास के तरीके़ को समझने के लिए पिछले वर्ष और पिछले 4 वर्षों के ऐतिहासिक डेटाबेस (database) पर आधारित है जो वास्तविक आवश्यकता का आकलन करेगा।

घर में कच्चे माल की परीक्षण सुविधा– यह मिठाईवालों को पर्याप्त खपत, शेल्फ़-लाइफ़ प्रत्याशा, प्रसंस्करण पैरामीटर सहनशीलता, अंतिम उत्पाद गुणवत्ता स्थिरता और बेहतर शेल्फ़-लाइफ़ के लिए कच्चे माल का परीक्षण करने में सक्षम करेगा। गुणवत्ता की जांच यह तय करेगी कि कब ख़रीदना है और किससे ख़रीदना है।

विक्रेता ऑडिट – यह चिंता का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि कच्चा माल प्रकृति में ख़राब होने वाला है, जो संक्रमित और ख़राब हो गया है वह अंत में अंतिम उत्पाद के भौतिक (physical), रासायनिक (chemical) और सूक्ष्मजीवविज्ञानी (microbiological) विशेषताओं को प्रभावित कर सकता है। यदि स्रोत, कटाई के बाद उपचार, छँटाई और ग्रेडिंग, थोक पैकेजिंग, तापमान और आर्द्रता में भंडारण की स्थिति, वितरण अनुसूची नियंत्रित माप के भीतर अच्छी तरह से है, तो यह निश्चित रूप से तैयार उत्पाद में मूल्य जोड़ देगा। एक अच्छे विक्रेता के पास गुणवत्ता को सुर. क्षित सीमा में रखने के लिए आवश्यक सभी तकनीकी पूर्वा पेक्षाओं को बनाए रखने की प्रणाली होती है। इससे हमें कच्चे माल का वाणिज्यिक मूल्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी। इसलिए विक्रेता लेखा परीक्षा गुणवत्ता आश्वासन के लिए एक उपकरण है।

ख़ुद की भंडारण की स्थिति – त्योहारों के मौसम की तैयारी करते समय, सभी भंडारण नियंत्रण उपायों से पर्याप्त रूप से सुसज्जित व उचित भंडारण सुविधा होना महत्वपूर्ण है। यदि किसी भी मौक़े से विशाल कच्चे माल का स्टॉक छोड़ दिया जाता है, तो निष्चित रूप से सुविधा में तापमान और आर्द्रता नियंत्रण, वायु परिसंचरण, पैलेटाइजेशन, पर्यावरणीय स्थिति नियंत्रण तंत्र से सुसज्जित उचित प्रबंधनीय भंडारण क्षेत्र होना चाहिए ताकि तैयार उत्पाद की गुणवत्ता को प्रभावित किए बिना शेश शेल्फ़- लाइफ़  के भीतर कच्चे माल का उपभोग किया जा सके।

कच्चे माल की शेल्फ  – लाइफ अध्ययन -इस मूल्यांकन में तैयार माल की शेल्फ़-लाइफ़ प्रत्याशा की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह गुणवत्ता व्यवहार का अध्ययन करके ही सीखा जा सकता है, क्योंकि पुराने और अनुपयुक्त वातावरण में संग्रहित करने से गुणवत्ता का ह्रास (depreciation) होगा। यह केवल शेल्फ़ संचयन के दौरान देखा जा सकता है और क्रमिक परिवर्तन जैसे बासी स्वाद, कड़वाहट, रंग में परि वर्तन, उत्पादन के बाद पहले दिन से ही नमी दिखाई देने लगती है।

प्रमुख कच्चे माल की फ़सल का समय – प्रत्येक कच्चे माल का अपना आवास और निर्माण और कटाई का समय होता है। निरंतर उपयोग के वर्षों में, हर खाद्य उद्योगपति गुणवत्ता ग्रेड और मानक को समझता है। इसलिए हमेशा सर्वोत्तम उपलब्ध ग्रेड का चयन करें और खुले बाज़ार में जाने के बजाय मानक आपूर्ति कर्ता के साथ मात्रा आधारित मूल्य निर्धारण पर बातचीत करें।

सीमा आत्रेय एक मिठाई नमकीन एक्सपर्ट हैं। उन का कहना है कि निर्मित होने वाले सभी उत्पाद रेसिपी और प्रक्रिया नियंत्रित होने चाहिए। मध्यवर्ती या कच्चे माल को केवल अनुमानित बिक्री के अनुपात में ही ओर्डर दिया जाना चाहिए।

‘‘इसे प्राप्त करने के लिए, कंपनियों को किसी प्रकार का सॉफ्टवेयर अपनाना चाहिए जो बिक्री और RM लॉंच के लिए अपने डेटा को स्टोर और विश्लेषण करने में मदद कर सके। डेटा विष्लेशण व्यवसाय के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करने और भविष्य के व्यवसाय को पेश करने और आकार देने में मदद करता है‘‘, उन्होंने यह प्रत्यय दिया।

वहीं दीप्ता गुप्ता, डायरेक्टर है एग्रेमोन्टज़  नामक कंसल्टेंसी फ़र्म के, उन्होंने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि अभी यह आकलन करना बहुत मुश्किल है कि बाज़ार में क्या क़ीमतें चल रही हैं। सबसे पहले, ख़रीदारों को सामग्री ख़रीदने में जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए और दूसरी मूल बात ये है कि उन्हें भारत में फसल की स्थिति के साथ-साथ विदेशों में जलवायु परिस्थितियों का विश्लेषण करना चाहिए।‘‘

दीप्ता गुप्ता ने यह भी कहा कि, उदाहरण के तौर पर ‘‘अफ़्रीक़ी देशों की तरह काजू की क़ीमत हमेशा RCM की क़ीमत से नियंत्रित होती है और इसकी तुलना में भारतीय फ़सल मुश्किल से 30 प्रतिशत होती है और शेष 70 प्रतिशत कच्चे काजू अफ़्रीक़ा से आता है।‘‘

वर्तमान स्थिति को देखते हुए आयात कमज़ोर दिखाई देता है क्योंकि कंटेनरों को देश में प्रवेश करने के लिए सख़्त समस्याओं से गुज़रना पड़ता है। जब आयात कठिन होता है तो स्वाभाविक रूप से निर्यात भी कठिन हो जाता है। व्यापार की इन ही परिस्थितियों से क़ीमतों में उतार-चढ़ाव होते हैं।

फिर दीप्ता जी ने कहा कि, ‘‘इसीलिए छोटे उद्यमी को सीज़न के समय कच्चा माल ख़रीदना चाहिए, जहां वे अपनी मात्रा को अच्छी फ़ैक्ट्रीयों से 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत जैसी छोटी राशि के साथ बुक कर सकते हैं और बाक़ी वे डिलीवरी के समय भुगतान कर सकते है।‘‘

उनका मानना है कि, “यह उन्हें उनकी ख़रीद की क़ीमतों और गुणवत्ता से अधिक परिचित कराएगा। अधिक समझ के साथ, वे बाज़ार की स्थिति का बेहतर तरीक़े से विश्लेषण कर सकते हैं।‘‘

एक और युक्ति यह है कि धैर्य रखें और बाज़ार का भाव अधिक होने पर किसी भी कच्चे माल का अधिग्रहण न करें। आपके पास बाज़ार की मांग के अनुसार काम करने की दूरदर्शिता होनी चाहिए न कि थोक में।

क्या मिठाई उद्योग को स्वचालन की आवश्यकता  है?

भारतीय मिठाईयाँ पारंपरिक कारीगर उत्पाद हैं। प्रत्येक त्यौहार में एक वर्ष में बनाई गई क़िस्मों को देखते हुए, उन्हें पूरी तरह से स्वचालित करने के लिए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं हो सकता है।

सीमा आत्रेय ने कहा, ‘‘हालांकि, सप्लाई चेन को मैनेज करने के लिए पर्याप्त शेल्फ़-लाइफ़ वाली साल भर में बिकने वाली कुछ मिठाईयों का मूल्यांकन स्वचालन के लिए किया जाना चाहिए‘‘। उन्होंने बताया कि इसका विशिष्ट उदाहरण टिंण्ड (Tinned/ close containers) रसगुल्ला, गुलाब जामुन का है जो साल भर खाये जाते हैं और देश भर में समुद्री यात्रा ध्परिवहन का सामना भी कर सकते हैं।

श्विशिष्ट मिठाईयाँ जैसे ‘घेवर‘, सिर्फ़ एक मौसम की मिठाई है, उनके विकसित होने पर स्वचालित उपकरणों पर ROI प्राप्त नहीं हो सकता है। इसलिए इन निर्णयों को विषेश रूप से मुनाफ़े की संख्या से जुड़ा होना चाहिए , आत्रेय ने कहा।

“मिठाई उद्योग में अधिकांश लोग स्वचालन में नहीं हैं। और अगर वे स्वचालन में जाते भी हैं, तो वे सुना-सुनी के आधार पर मशीनरी ख़रीदते हैं न कि सीख से। अक्सर यह सोचे बिना कि क्या उन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता   है, स्वचालन के लिए जाते हैं,” दीप्ता जी ने कहा ।

यदि आपके पास काजू बर्फ़ी जैसे किसी विषेश उत्पाद का थोक उत्पादन  है, तो यहां स्वचालित मशीन  स्थापित करने लायक़ है क्योंकि इसमें ‘ शीटिंग और कटिंग‘ की अच्छी विशेषताएँ  हैं। जबकि छोटे निर्माता शीटिंग  मशीनरी  के साथ ही काम चला सकते हैं, उन्होंने कहा।

आम तौर पर यह देखा गया है कि 80 से 90 प्रतिशत निर्माता मिठाई बनाने के लिए पारंपरिक भट्टी पर काम कर रहे हैं। उन्हें तुरंत अपनी तैयारी प्रक्रिया को सामान्य भट्टी से ब्लोअर भट्टी में बदलने की आवश्यकता है। चाहे वे गैस या किसी अन्य साधन का उपयोग कर रहे हों, उन्हें इसे ब्लोअर फ़र्नेस से बदलना होगा। चूंकि निवेश उच्च स्वचालन है, मिठाई निर्माता ‘‘थर्मिक फ़्लूइड सिस्टम‘‘ (TFS) के लिए जा सकते हैं, जो की कम लागत का होता है और एक हीटर कारख़ाने में सभी प्रकार की हीट प्रदान कर सकता है।  यह तलने, रसगुल्ला बनाने, मावा बनाने या दूध पकाने के लिए और सभी प्रकार के लिए अच्छा है। अधिकांश चीज़ें ‘‘थर्मिक फ़्लूइड सॉल्यूशंस‘‘ द्वारा की जा सकती हैं। और अगर यह संभव नहीं है तो स्टीमर के लिए जाना चाहिए।

‘‘लेकिन मैं कहूंगा कि लोग TFS का विकल्प चुनें क्योंकि यह किसी भी खाद्य उत्पाद को बनाने में खाना पकाने का सबसे अच्छा तरीक़ा है क्योंकि इस प्रणाली में स्वच्छता को बनाए रखा जा सकता है और कार्य कुशलता में वृद्धि होती है। जहां आपको एक निश्चित समय में काम करने के लिए 4 लोगों की आवश्यक्ता होती है, केवल एक व्यक्ति उस कार्य को कम समय में कर सकता है‘‘ दीप्ता जी ने कहा।

दीक्षित साहब के अनुसार, सफ़ल स्वचालन की दिशा में मिठाई और नमकीन उद्योग बड़े पैमाने पर सामने आया है, लेकिन कार्यात्मक टीम द्वारा अपनाने की क्षमता प्रबंधन के सामने एक बड़ी चुनौती है। इस के अलावा, मशीन आपूर्ति कर्ता व्यापार के थोड़े से ज्ञान के साथ ही सीमित हैं और इसके परिणामस्वरूप बहुत महंगा समाधान होता है।

उन्होंने कहा- ‘‘इस समस्या को दूर करने के लिए, हमें प्रसंस्करण व्यवहार और पैरामीटर, भौतिक और रासायनिक परिवर्तन, बनाए रखने के लिए आवश्यक्ताओं को संभालने और स्वचालन के लिए रास्ता बनाने के लिए कई अन्य बातों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने खोज की योजनाएं  बनानी होंगी।‘‘

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि तकनीकी रूप से योग्य टीम और मशीन निर्माता द्वारा लगभग 6 महीने के समय में परीक्षण और सुधारात्मक कार्रवाई की सुविधा के लिए त्यौहार के सीज़न से एक साल पहले यह काम शुरू होना चाहिए।

वास्तव में इस गतिविधि में कच्चे माल से लेकर पूर्व-तैयारी और फिर प्रक्रिया, पैकेजिंग और भंडारण के प्रसंस्करण के प्रत्येक चरण में रासायनिक, भौतिक और माईक्रोबियल मूल्यांकन का विवरण देने वाले विश्लेषणात्मक डेटा बेस का संग्रह शामिल है। चूंकि स्वचालन को लम्बे समय से देखा जा रहा है।  मिठाई उद्योग की प्रकृति में इसके लिए समय, गंभीरता, जाती सुपुर्दगी के साथ बड़े निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए गुणवत्ता, मात्रा, स्थिरता, लागत अर्थशास्त्र और उपभोक्ता संतुष्टि को बढ़ाने के लिए प्रत्येक प्रक्रिया लाइन की समीक्षा करना उचित है।

मार्केट की मांग में मौसमी उतार-चढ़ाव के बावजूद लगातार उत्पाद देने के लिए यह महत्वपूर्ण सफ़लता का क़दम होगा। यह हमें स्थान की आवश्यकता, जनशक्ति प्लेसमेंट और उत्सव की मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक कार्य दिनों की संख्या निर्धारित करने में मदद करेगा, जो अंततः ओवर स्टॉकिंग की ओर नहीं ले जाएगा। पुराने स्टॉक को जमा करने से बचने और 95ः अवशिष्ट शेल्फ़- लाइफ़ के साथ नए स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

श्रम की उपलब्धता

यहां तक कि मिठाई उद्योग में स्वचालन को आंशिक रूप से शामिल करने के बावजूद हम अभी भी बड़े पैमाने पर कठोर परिश्रम निर्भरता पर संघर्ष कर रहे हैं, हालांकि लगभग सभी प्रमुख खिलाड़ियों ने कुछ हद तक संगठित तरीक़े से त्योहार की ज़रूरत को पूरा करने के लिए अपनी कुशल श्रमिक टीम विकसित की है। अभी भी कठोर परिश्रम और गुणवत्ता, स्थिरता, निर्भरता और स्वच्छता के मामले में कुशल कार्यबल उत्पादकता की कमी त्यौहार के भार के समय सामना करने वाले प्रमुख कारक हैं। ये सीमाएँ जानबूझकर हमें इन पहलुओं को नज़र अंदाज़ करने के लिए मजबूर कर रही हैं, जिससे ग्राहक की खुशी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

दीक्षित साहब का मानना है-‘‘जब तक हम उचित स्वचालन तक नहीं पहुंच जाते, तब तक सभी हित धारकों को पारंपरिक उद्योग के लिए विश्वसनीय और प्रशिक्षित लोगों की अपनी टीम विकसित करने की आवश्यकता होती है।‘‘

उन्होंने कहा-‘‘इसलिए कम से कम हमें संचालन के प्रत्येक चरण की निगरानी करनी चाहिए ताकि डाउन टाइम, हाइजीन कल्चर इंप्रेग्नेशन, शॉप फ़्लोर के काम के माहौल के लिए आराम, सामान्य और आंशिक स्वचालन के साथ बढ़ाया जा सके।‘‘

कच्चे माल की हैंडलिंग, पोस्ट प्रोडक्शन हैंडलिंग, कटिंग, पैकिंग और सेनिटाइजे़शन जैसी सामान्य गतिविधियों के लिए मल्टी-टास्किंग लेबर फ़ोर्स का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। इन गतिविधियों को हमारे ऑन-रोल श्रम द्वारा बेहतर तरीक़े से पूरा किया जा सकता है क्योंकि वे हमारे सिस्टम और पर्यावरण के अधिक आदी हैं। इसलिए हमें उनके संबंधि. त उत्पाद लाइन में लगभग 65-70 प्रतिशत कुशल श्रम विशेषज्ञ की आवश्यकता होगी। बाक़ी गतिविधियों को पहले से ग़ैर त्यौहारी उत्पादों की रेंज की योजना बनाकर मौजूदा श्रम शक्ति के साथ आसानी से प्रबधित किया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा।

आत्रेय ने सलाह दी कि सीज़न के लिए काम करने वाले कर्मचारियों को अग्रिम रूप से व्यवस्थित किया जाना चाहिए ताकि उत्पाद और प्रक्रिया की आवष्यकताओं को समझाया जा सके और श्रमिकों की नई टीम के साथ विकसित किया जा सके। 

कई बार मौसमी मिठाईयों के उत्पादन के लिए अंतिम समय पर काम करने वाली टीमों को काम पर रखा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अवांछित उत्पाद बनते हैं। इसलिए यह अनुशंसा की जाती है कि ‘कारीगरों’ को समय से थोड़ा पहले प्राप्त करें, उत्पाद को वांछित मानक तक ले जाएं और फिर त्यौहार के उत्पादन के लिए पूरी तरह से आगे बढ़ें।

त्यौहार के समय, विषेश रूप से दीवाली के दौरान कोई भी कारीगर निष्क्रिय नहीं रहता है, संपूर्ण उद्योग में मांग बढ़ जाती है।

असहमति जताते हुए दीप्ता जी ने कहा कि त्यौहारों के मौसम के बाद कारीगरों के पास कम काम होने की वजह से ज़्यादातर फ्ऱी होते हैं। उन्होंने समझाया कि हमारा उद्योग कारीगरों से संचालित है, एक तरह से जहां एक कारीगर अपनी ज़रूरत के हिसाब से कामगार की मांग करता है, जिसे कोई भी निर्माता ख़ुद तय नहीं कर सकता है। मुख्य बात भट्टी, कढ़ाई, फ्ऱायर या उसके पास जो कुछ भी है उस पर मशीन को नियंत्रित करना है।

गणना कीजिए कि एक भट्टी द्वारा 12 घंटे में कितना कार्य किया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि 1 कारीगर एक भट्टी पर काम करेगा, उनके साथ सहायक भी लगाए जाएंगे, नियंत्रण कारक यह गणना करना है कि आपके पास कुल कितनी भट्टी है और 12 घंटे में कुल काम करने के लिए कितने कारीगरों की आवश्यकता होगी। यदि योजना सही हो तो जनशक्ति को नियंत्रित किया जा सकता है।

पहले अपने उत्पादन की योजना बनाएं क्योंकि कई उत्पाद ऐसे होते हैं जिन्हें मावा उत्पादों की तरह दैनिक आधार पर बनाया जा सकता है। और कोई भी बेसन को पहले से भून कर माइनस तापमान पर कोल्ड- स्टोरेज में रख सकता है, कई मिठाईयाँ बनाकर पहले से रखी जा सकती हैं जो 1 महीने तक चल सकती हैं, सिवाय इसके कि वे खोये से बनी हों जिन्हें तुरंत बनाया और बेचा जाना चाहिए। इसलिए सीमित और समान जनशक्ति के साथ उचित रखरखाव की मदद से बेहतर उत्पादकता हो सकती है। योजना सभी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, अगर बेहतर योजना है तो निर्माताओं को ज़्यादा समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पैकेजिंग सिस्टम का प्रबंधन मूल रूप से, अधिकांश मिठाई निर्माता उपहार पैकेजिंग के बारे में नहीं सोचते हैं वे इसके बारे में शायद ही कभी अनुमान लगाते हैं इसलिए पैकेजिंग सामग्री की योजना नहीं बना पा रहे हैं, हालांकि यह मार्केटिंग और बिक्री का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 

पैकेजिंग सामग्री एक ऐसी चीज़ है जो एक या दो महीने में ख़राब नहीं होती, इसलिए कच्चे माल की तरह ही योजना बनाना महत्वपूर्ण है। निर्माता पिछले वर्ष सहित 80 प्रतिशत पैकिंग सामग्री ख़रीद कर गोदाम में रख सकते हैं। यह स्टॉक रक्षा बंधन द्वारा तैयार होना चाहिए, जो त्यौहारों के मौसम की शुरुआत का संकेत देता है।

दो महीने का किराया पैकेजिंग ख़त्म होने पर होने वाले नुक़सान से ज़्यादा नहीं होगा, और बिक्री के खि़लाफ़ लागत से समझौता किया जा सकता है। अधिकंाश बड़े मिठाई निर्माता इस प्रथा का पालन करते हैं।

अत्यधिक ऑर्डर के कारण, छपाई और पैकेजिंग निर्माताओं को दबाव का सामना करना पड़ता है और अक्सर सौदों को सफ़लतापूर्वक पूरा करने के लिए असहाय होते हैं। जब उनसे मिठाई निर्माताओं द्वारा देरी के बारे में सवाल किया जाता है, तो वो बक्सों की डिलीवरी के बारे में कोई भी सही कारण देने में सक्षम नहीं होते हैं। यह एक बहुत बड़ी लापरवाही है और इससे बचने का केवल एक ही रास्ता है-मांग के अनुसार त्यौहार से पहले सभी आवश्यक वस्तुओं की ख़रीद करना ज़रूरी है।

“हमें पैकेजिंग सामग्री की विविधता पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि पैकेजिंग शैली पर ध्यान केंद्रित करना और पुरानी शैली को नए के साथ बदलने से बिक्री बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही, हमें अपव्यय को कम करने के लिए पैकेजिंग की कम से कम 20-25 क़िस्मों को रखना चाहिए”, दीप्ता जी ने कहा।

इसके लिए आत्रेय कहती हैं कि कच्चे माल की ख़रीद और योजना के लिए विस्तारित तर्क को पैकेजिंग तक भी बढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि इसे ब्रैंड में ताज़गी की भावना लानी चाहिए, इसे व्यावसायिक अनुमानों के अनुपात में नियोजित और व्यवस्थित करने की आवश्यकता है।

दीक्षित जी का मानना है कि व्यवसाय के पैकेजिंग पहलू को प्राप्त करने में मार्केटिंग टीम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चूंकि मार्केटिंग रणनीति ही केवल ब्रैंड प्लेसमेंट और उत्पाद वरीयता (product preference) ला सकती है। इसलिए इच्छा अनुसार व्यावसायिक परिणाम लाने के लिए कम से कम 6 से 9 महीने पहले ही मार्केटिंग गतिविधियों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा की तुलना में विकसित नमूनों और नए उत्पाद विकल्पों के साथ नियमित और नए ग्राहकों के साथ बैठकें आयोजित करनी चाहिए।

यह अपने संभावित क्षेत्र में प्रमुख स्टैक धारकों द्वारा व्यापार हिस्सेदारी के संबंध में बाज़ार की क्षमता का अध्ययन करने से शुरू होता है। बाज़ार की अपेक्षाओं को परिभाशित करने में वर्गीकरण और पैकेजिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसके बाद USP उत्पाद के नमूने की रेंज आती है। नए उत्पादों का विकास करना जहां प्रतिस्पर्धा अन्य ब्रैंडों पर अग्रणी है। प्रतिस्पर्धी बाज़ार में मूल्य निर्धारण भी एक आवश्यक भूमिका निभाता है क्योंकि कड़ी प्रतिस्पर्धा गुणवत्ता में समझौता, एक मात्रा और सबसे बढ़कर उत्पादों का जातीय मूल्य है।

इसलिए, फोकस हमेशा  USP उत्पादों के अग्रिम नमूने और प्रतिस्पर्धा से मेल खाने के लिए विकसित उत्पादों की नई श्रृंखला पर होना चाहिए। उत्पाद की गुणवत्ता, पैकेजिंग प्रस्तुति, ताज़ा स्टॉक प्रदान करने के लिए वितरण कार्यक्रम, और सबसे बढ़कर लागत प्रतिस्पर्धात्मकता ;बवउचमजपजपअमदमेेद्ध के संबंध में संभावित ख़रीदार की अपेक्षाओं का अध्ययन करें।

‘‘उपरोक्त इनपुट के आधार पर, हमारी बैकएंड टीम सभी रणनीतिक अपेक्षा ओं को पूरा करने के लिए बेहतर तरीक़े से योजना बना सकती है और एक ही कीमत पर ताज़ा, स्वस्थ, प्रस्तुत करने योग्य और आकर्षक पैक प्रदान कर सकती है, जो वाणिज्यिक (commercial) सौदे का करिश्माई हिस्सा होगा‘‘,दीक्षित जी ने मूल्यांकन किया।

इसलिए यह निष्कर्श निकाला जा सकता है कि नमूनाकरण और प्रस्तुति में हमारी मार्केटिंग टीम के प्रयासों के आधार पर और ऑर्डरिंग की भविष्यवाणी करने की स्थिति में होगा और उचित रूप से सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य पर संपूर्ण प्रामाणिक उत्पाद श्रृंखला देने के लिए सही इनपुट संसाधन कर सकते हैं ।

एक बार जब हम समय पर ख़रीदारों का विश्वास हासिल कर लेते हैं तो उनको  प्रसन्न करने की दिशा में रणनीतिक कदम उठा सकते हैं और हमारे पास दीर्घकालिक (long term) स्थिरता के साथ जीतने की स्थिति होती है।

निष्कर्श

मिठाईयों के शोरूम्स और आउटलेट्स पर असंख्य स्वादिष्ट मिठाईयों की पेशकश रहती है जो मुंह में पिघलते ही तुरंत अपार स्वादों का एक समूह जबान पर छोड़ जाती है। रक्षा बंधन से शुरू होने वाले त्यौहारी सीजन में मिठाई का कारोबार सबसे ज़्यादा फलता-फूलता है।

रसगुल्ला, गुलाब जामुन जैसी दूध की चीज़ें हर जगह हैं और यहां तक कि यूरोप के गोरे (white caucasians) भी बंगाली मिठाईयों के आगे झुक गए हैं। अभिनव (innovative) पैकेजिंग का धन्यवाद, अब मिठाई उद्योग निर्यात मार्ग की तरफ़ जा रहा है। पेठा निर्यात में एक और नयी मिठाई है।

खोये से निर्मित मिठाईयाँ राष्ट्रीय स्तर के बाज़ार में राज कर रही हैं जैसे बादाम, पिस्ता और काजू बर्फ़ी और आखि़र में आती है सब की पसंदीदा काजू कतली।

हेल्थ थ्योरी को ध्यान में रखते हुए सभी प्रमुख दुकानों पर शुगर फ्ऱी मिठाईयां बनायीं जा रही हैं। लोगों में यह गलत फ़ेहमी है कि शुगर-फ्ऱी मिठाईयाँ बेस्वाद होती हैं और इस जागरूकता को मधुमेह रोगियों और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों तक पहुंचाना है ताकि वे पूरी तरह से बाज़ार का पता लगा सकें। जागरूकता की कमी और इसकी कम शैल्फ़-लाइफ़ प्रत्येक दुकान में चीनी मुक्त मिठाई का दैनिक उत्पादन मुश्किल से 2-3 किलोग्राम है।

कच्चे माल की बढ़ती क़ीमतों और उच्च गुणवत्ता, शुद्ध उत्पादों के उपयोग और अन्य खुदरा मूल्य (retail price) को आगे बढ़ाने के कारण, कच्चे माल की बढ़ती क़ीमतों और उच्च गुणवत्ता, शुद्ध उत्पादों के उपयोग और अन्य खुदरा लागतों को आगे बढ़ाने के कारण सभी उच्च मूल्य निर्धारण में जोड़ते हैं, जो केवल मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के लोग ही ख़रीद सकते हैं।

भारत धार्मिक लोगों कि भूमि है और त्यौहारों में भरी बिक्री को गति देती है। इसके अलावा इस क्षेत्र में काफ़ी संभावनाएं हैं, क्योंकि भारत और यूरोपीय देषों में मिठाई कि मांग बढ़ रही है। लेकिन कुछ को छोड़कर, अधिकांश सीधे निर्यात नहीं करते हैं।

बीकानेर वाला,‘ ब्रैंडेड मिठाईयों का स्थानीय उत्पादन अब निर्यात और बढ़ा रहा है। ‘बीकाजी‘ और ‘हल्दीराम‘ भी भारतीय मिठाईयों के शीर्ष निर्यातक हैं, और निश्चित रूप से दीपावली आदि त्योहारों के दौरान निर्यात की मात्रा अत्याधिक बढ़ जाती है।

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