क्या काजू कतली विश्व प्रसिद्ध मिठाई बन सकती है?

त्योहार का दिन है, मेहमान आने वाले है। यह सोचकर बड़े- बच्चे सब ख़ुश हो रहे हैं । ख़ुश भी क्यों ना हों हमारे देश में मेहमानों को ‘अतिथि देवो भवः’ कहा जाता है। बच्चे ज़्यादा खु़श हैं के मेहमान आ रहे हैं, ज़ाहिर है जब मेहमान आएंगे तो खाली हाथ तो नहीं आएंगे, ज़रूर साथ में कुछ तो लाएंगे। बच्चों की निगाहें बस घर के दरवाज़े पे टिकी हुई हैं, कुछ देर बाद दरवाज़े पर आहट हुई, जिनका इंतेज़ार हो रहा था, वो लोग आ गए।

बच्चों की नज़रें मेहमान के हाथों पर टिकी हुई थीं, बुजुर्ग ख़ातिरदारी में जुट गए। इंतेज़ार की घड़ियां भी ख़त्म हुई, इतनी देर में अतिथि ने एक बहुत सुंदर-सा गिफ़्ट बॉक्स निकाला और एक बच्चे के हाथ पर रख दिया। बस, फिर क्या था बच्चे तुरंत वहां से भागे और किचन में गए और गिफ़्ट बॉक्स को निहारने लगे और एक दूसरे से शर्त लगाने लगे कि इसमें कौनसी मिठाई हो सकती है, और सही मानिए के जो अन्दाज़ा लगाया था बिल्कुल सही निकला, बॉक्स खुला और उस में बहुत खूबसूरती से सजी हुई थी काजू की कतलियाँ!!!

चांदी के वर्क़ से चमचमाती काजू कतली की सुंदरता बहुत शोभनीय है। काजू कतली की मिठाई देखकर जु़बान में पानी आ जाता है। काजू कतली हर मौसम के हिसाब से एडजस्ट होने वाली मिठाई है। यह ज़्यादा दिन तक चलने वाली मिठाई स्वाद से भरपूर है, यह मिठाई हर किसी की पसंदीदा मिठाई है। भारत में यह एक मात्र ऐसी मिठाई है जो शुगर के मरीज बेफ़िक्र हो कर इसको खा सकते हैं, अगर किसी के घर तोहफ़ा देना है या शादी का न्यौता, काजू कतली एक बेस्ट ऑप्शन के रूप में सामने आती है।

इस अर्टिकल में हम बात करेंगे क्या काजू कतली विश्व प्रसिद्ध मिठाई बन सकती है?

जी हां, काजू कतली देश के हर कोने में बनती है और हर त्योहार की रौनक भी इसी से है। इस के स्वाद से मिलती-झुलती और भी मिठाईयां बनने लगी हैं जैसे-काजू रोल, काजू बर्फी, काजू फ़ज, काजू मोदक इत्यादि। सेहत से भरपूर, स्वादिष्ट, पोषण में हलकिं, खाने-चबाने में नरम जिसे बूढ़े-बच्चे सब खा सकें और हर बाईट का लुत्फ़ उठा सकें, ऐसी मिठाई को भारत में कौन खाना पसंद नहीं करेगा? देश के बाहर जो भारतीय बसते हैं वह भी काजू कतली खाने को ललचाते हैं।

इस मिठाई को अन्तराष्ट्रीय पहचान देकर काजू कतली को मास प्रोडक्शन करके इस मिठाई को एक्सपोर्ट की ओर ले जाया जा सकता है। इस नयी पहचान से हम काजू कतली को इंटरनेशनल लेवल का ब्रांड बनाकर पूरी दुनिया में काजू कतली को प्रसिद्धि देकर भारत का नाम रौशन कर सकते हैं।

ओवरॉल मिठाई प्रोडक्शन का एवरेज लें तो लगभग १, ५०,००० करोड़ है, और इस आंकड़े का २५,००० करोड़ का साझा काजू कतली को जाता है, यानी के सालाना २०ः सेल्स अकेले काजू कतली का है, तकरीबन हर साल ५ः सेल्स की बढ़ोत्री है। मध्य-वर्गीय कंस्यूमर भी अब काजू कतली अफ्ऱोड कर सकता है।

रसगुल्ले और सोन पपड़ी को कड़ी टक्कर देती काजू कतली

भारतीय मिठाईयों के करीब 8,000 करोड़ रुपये के निर्यात के बाजार में रसगुल्ले के पुराने रसूख को काजू कतली से कड़ी चुनौती मिल रही है। जानकारों की माने तो उन देशों में काजू कतली की मांग तेज़ी से बढ़ती जा रही है, जहां बड़ी तादाद में भारतवंशी बसे हैं।

भारतीय मिठाईयों के निर्यात के बाज़ार में काजू कतली की मौजूदा भागीदारी हालांकि केवल ५ः के आस-पास है, लेकिन अब इस मिठाई की मांग दिन-पे-दिन तेज़ी पकड़ रही है। अगर इस मिठाई की शेल्फ़-लाइफ़ बढ़ाकर और अच्छी तरह ब्रांडिंग की जाये तो आने वाले सालों में काजू कतली की मांग रसगुल्ले की डिमांड को भी पीछे छोड़ सकती है।

आपको बता दें कि एशिया और खाड़ी दशों के साथ अमेरिका, यूरोप और अफ्ऱीका में भी भारतीय मिठाईयों की अच्छी ख़ासी मांग है। बड़े पैमाने पर अब मिठाईयों में ऑटोमेशन आ रहा है जो के बल्क प्रोडक्शन में बहुत ज़्यादा मदद मिलेगी और एक्सपोर्ट ऑर्डर्स में वृद्धि की सम्भावना हो सकती है। ब्रिटेन में तो भारतीय मिठाईयों की इतनी मांग है कि एक बड़ी मिठाई कम्पनी ने वहां अपनी प्रोडक्शन यूनिट लगा दी। भारत से निर्यात की जाने वाली अन्य प्रमुख मिठाईयों में गुलाब जामुन और सोन पापड़ी शामिल हंै।

काजू कतली एक बहुत ही सामान्य इंग्रेडिएंट्स से बनती है, मगर स्वाद एकदम लाजवाब!! एकदम बढ़िया!!
इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री

  1. काजू
  2. दूध
  3. चीनी
  4. चांदी का वरक
  5. इलाइची / ज़ाफ़रान / पिस्ता / बादाम / मूंगफली / चॉकलेट इत्यादि (ऑप्शनल)

इन सभी तत्वों का उपयोग काजू कतली के बनाने में शामिल है और अब तो इतना बदलाव हो गया है की काजू कतली को हर फ़्लेवर्स में तैयार हो ने लगी है और टेस्ट एक से बढ़कर एक! ये सभी तत्व शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक हैं।

आइये जानते हैं की इन चीजों का शरीर पर क्या असर पड़ता है।

1.काजू को ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। शरीर में एनर्जी बनाएं रखता है और इसे खाने से सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।

2.काजू में प्रोटीन अधिक मात्रा में होती है इसलिए इसका सेवन करने से बाल और त्वचा स्वस्थ और सुंदर रहते हैं।

  1. दूध से निर्मित वस्तुएं हमारे शरीर को एनर्जी प्रदान करती हंै। प्रोटीन और कैल्शियम भी संतुलन में रहता है।
  2. दूध से बनी चीजें खाने से बुढ़ापे में जोड़ों के दर्द की शिकायत नही होती।
  3. काजू कतली में शुगर की मात्रा ज़्यादा नहीं होती, इसलिए काजू कतली शुगर पीड़ित लोगों आसानी से इस का सेवन कर सकते हैं।
  4. काजू कतली पर चांदी का वर्क़ लगने से मिठाई को चार चाँद लग जाते हैं और चाँदी का वर्क़ मिठाईयों पर बैक्टीरियल ग्रोथ को रोकता है।

आपको बताते चलें कि मार्केट में काजू कतली की कई वैराइटीज़ मिलती हैंः जैसे- केसर काजू कतली, मूंगफली काजू कतली, केसर पिस्ता काजू कतली, केसर गुलक़ंद काजू कतली, सभी मिठाईयाँ खाने में लाजवाब हैं।

आईये, अब हम अपना रुख़ करते हैं जानी-मानी हस्तियों की तरफ, जो काजू कतली व्यवसाय में माहिर हैं।

मिठाई एण्ड नमकीन टाइम्स को अवसर मिला प्रसिद्द काजू-कतली बनाने वालों से मुलाक़ात का। आइये, उनसे दो-चार बातें हो जाएँः
सब से पहले पंजाब मलोट, के आरती स्वीट के मालिक गौरव नागपाल से बात करते हैं। उनका मान है की, “काजू कतली या काजू बर्फी भारत में बनने वाली एक स्वादिष्ट मिठाई है। यह पूरे भारत में काफी लोकप्रिय मिठाई है। काजू कतली में मुख्य सामग्री काजू, चीनी और घी हैं। कभी-कभी इसमें केसर भी डाला जाता है। शुगर से पीड़ित लोगों के लिए काजू कतली पहली पसंद हो सकती है क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा बहुत कम होती है‘‘। गौरव कहते हैं, ‘‘दिन प्रतिदिन काजू कतली खाने वालों की संख्या बढ़ रही है। पहली बार ही इस कतली को खाने वाला इस मिठाई का फै़न हो जाता है”.

‘‘पोषण और बेहतरीन स्वाद के कारण, काजू कतली दुनिया भर में अधिक से अधिक प्रसिद्ध हो रही है। ना केवल दुनिया भर में लोग इसके स्वाद के दीवाने हैं, बल्कि इसके स्वास्थ्य के अनुकूल गुणों के कारण भी इसे पसंद किया जा रहा है”।

बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए गौरव ने कहा, ‘‘करीब 8,000 करोड़ रुपये की मिठाई निर्यात की जाती है, लगभग सभी मिठाईयों को काजू कतली से कड़ी चुनौती मिल रही है। जानकारों के मुताबिक, उन देशों में काजू कतली की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, जहां बड़ी तादाद में हिंदुस्तानी बसे हैं‘‘।

इंदौर, मिठाईयों का गढ़ माना जाता हैं, माना क्या जाता हैं, वो तो हैं ही!! म्हो के रहने वाले अनिल सैनी का भंवरीलाल स्वीट्स का ज़बरदस्त आउटलेट है। जब अनिल जी से काजू कतली के बारे में बात की तो उन्होंने बताया की, ‘‘काजू कतली एक बेहतरीन और स्वादिष्ट मिठाई है। इसकी बनावट काफ़ी आकर्षक है जो और मिठाईयों से अलग है। इसकी पैकेजिंग पर हम और भी काम कर सकते हैं, ताकि ये दूसरी मिठाईयों से अलग दिख सके। ऑटोमेशन ने मिठाई को काफ़ी हाइजेनिक बना दिया है‘‘।

‘‘बढ़ती बीमारियों के बीच काजू कतली एक स्वास्थ्यव -र्धक मिठाई है, और शुगर, बीपी, हार्ट प्रॉब्लम जैसे मरीजों के लिए ये मिठाई पहली पसंद बन सकती है। काजू कतली को जो एक बार खा ले फिर तो वो इस का स्वाद ज़िन्दगी भर नहीं भूल पायेगा‘‘।
अनिल जी ने कहा,‘‘काजू कतली की अवधि बढ़ाने पर भी काम करने की आवश्यक्ता है, अभी ये लगभग 60 दिनों तक रखी जा सकती है, लेकिन इसे 6 महीने तक सुरक्षित रखने पर विचार हो रहा है। विदेशों में काजू कतली की बढ़ती डिमांड को देखकर ये कहने में कोई परेशानी नहीं की ये अंतर्राष्ट्रीय मिठाई नहीं है।

अनिल जी ने और भी जानकारी दी जिसे काजू कतली को अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड बनाया जा सकता है। उन्होंने अपने प्रोडक्शन के बारे में विस्तार से बताया के काजू कतली के मैन्युफैक्चरिंग में ३०% मैन्युअल काम होता है जैसे काजू की सॉर्टिंग और ग्रेडिंग, सफ़ाई और भुनाई। और ७०% ऑटोमेशन से काम लिया जाता है।

सारे बर्तन, कढ़ाईयाँ और ऑटोमेशन की मशीने जैसे की रोलर्स, डाई-कट्स सब (३१६ ग्रेड) की बनी होती हैं। ३१६ ग्रेड का मतलब मेडिकल इक्विपमेंट जिस ग्रेड के बने होते हैं उस मेटल का इस्तेमाल किया गया है। जहाँ तक काजू के सिलेक्शन का सवाल है, १८० नंबर का काजू, काजू कतली बनाने में एकदम सही होता है, हायर ग्रेड के काजू बाक़ी स्नैक्स में इस्तेमाल होते हैं।

अनिल जी यह भी हमे बताया की भंवरीलाल स्वीट्स में हर एक मिठाई रेगुलर चीनी के बजाये फ़ार्मा ग्रेड शुगर ही यूज़ करते हैं। जब हम इतना प्रोडक्शन में ध्यान रखते हैं और सनीटाइज़ेशन का भी उतना ही ख़्याल रखते हैं तो हम काजू कतली को इंटरनेशनल लेवल पर बिल्कुल प्रोमोट कर सकते हैं। एक मिसाल देता हूँ मैं आप को, एक सज्जन हमारे आउटलेट से काजू कतली लेकर अमेरिका गए और अपने ऑफ़िस में सब अमेरिकन्स और अफ्रीकंस को पेश किया, सही मानिया डिब्बा खुलते ही काजू कतली खत्म!!!! तो सोचिये जब इतनी पसंद आयी है तो इसकी डिमांड अपने-आप ही इंटरनेशनल हो गयी!!! और अगर मैप टेक्नोलॉजी यूज़ करते हैं तो एक्सपोर्ट मार्किट बनने में देर नहीं लगेगी।

आनंद स्वीट्स, बेंगलुरु से अरविन्द दादू का मानना है की, ‘‘काजू कतली की डिमांड हर साल बढ़ती ही जा रही है और उसकी लोकप्रियता भी। हर त्यौहार पर, हर अवसर पर बाकी मिठाईयों के साथ काजू कतली अव्वल नंबर पर होती है। आनंद स्वीट्स, एक वर्ष के मूल्य में लगभग 80,000 किलोग्राम उत्पादन सिर्फ़ काजू कतली की करता है, लगभग 8.5 करोड़ का बिज़नेस होता है‘‘।

आनंद स्वीट्स में काजू कतली का उत्पादन स्टीम केटल्स पर किया जाता है और फिर टेफ़्लॉन शीटर्स पर शीटिंग की जाती है। काजू कतली का बैटर जब रोल किया जाता है तो कटिंग मैन्युअल रूप से की जाता है और ट्रे पर व्यवस्थित रूप से सजा कर, आउटलेट में भेज दिया जाता है।

‘‘जहाँ तक एक्सपोर्ट का दायरा है, बहुत पोटेंशियल और अच्छा है। इस को एक अंतर्राष्ट्रीय उत्पाद बनाने के लिए हमें 15 दिनों की वर्तमान शैल्फ़-लाइफ़ को बढ़ाकर लगभग 6 महीने तक करना होगा। MAP हमें लगभग 45 दिन की शैल्फ़-लाइफ़ बनाने में मदद कर सकता है, लेकिन इस के बाद हमें काजू कतली के प्रोडक्ट को फ्ऱोजन स्टेट में बाहर भेजना होगा‘‘।

मुरादाबाद का नाम आये और कुंदन स्वीट्स का ज़िक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता!! कुंदन स्वीट्स के मालिक सत्यम अरोड़ा कहते हैं कि, ‘‘काजू कतली मिठाई के साथ-साथ एक हेल्दी प्रोडक्ट है। काजू कतली में शुगर की मात्रा ज़्यादा नहीं होती, इसलिए काजू कतली शुगर पीड़ित लोगों को भी पसंद आती है। काजू कतली में सभी प्रोडक्ट हेल्दी हैं, जैसे- काजू, दूध, केसर‘‘।

सत्यम ने बताया कि काजू कतली को और बेहतर बनाने के लिए इसकी और अच्छी तरह से पैकेजिंग और मार्केटिंग की जा सकती है। एशिया और खाड़ी देशों के साथ अमेरिका, यूरोप और अफ्ऱीका में भी भारतीय मिठाई यों की ख़ासी मांग है। वो दिन दूर नहीं जब ज़्यादातर देशों में काजू कतली का बोलबाला होगा।

हैदराबाद की फे़मस दादूस मिठाई वाटिका के मालिक राजेश दादू ने काजू कतली पर सुझाव देते हुए कहा,‘‘ये मिठाई ऐसी मिठाई है कि जब आप इसे खाते हो तो काजू और दूध का फ़्लेवर आता है ना कि मिठास का, क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा काफ़ी कम होती है। शुगर कम होने की वजह से इसे शुगर पीड़ित लोग भी बहुत चाव से खाते हैं। विदेशों में काजू कतली की डिमांड और तेज़ी से बढ़ सकती है, लेकिन उसके लिए चांदी का वर्क़ को हटाना पड़ेगा, क्योंकि विदेशी सिंपल चीज़ को ज़्यादा प्रिफरेंस देते हंै। इसकी पैकेजिं़ग को और भी बेहतर बनाया जा सकता है, मिठाई की समय-सीमा पर भी काम किया जा सकता है‘‘।

राजेश कहते हैं, ‘‘ये एक ऐसी मिठाई है जिसे कम समय में ज़्यादा तैयार किया जा सकता है। दूध और काजू हेल्दी प्रोडक्ट हैं और आजकल लोग स्वास्थ्य का ख़्याल रखने वाली चीजें खाना पसंद करते हैं और काजू कतली बेस्ट प्रोडक्ट है।

बेमिसाल काजू कतली जो हर-दिल अज़ीज़ मिठाई है, विश्वास प्रसिद्द बनाने के लिए, हर मुमकिन कोशिश की जा रही है ताकि इंडियन मिठाई बिज़नेस में इस की वृद्धि हो। काजू कतली बनाने वाले तो पूरे भारत में बिखरे हुए हैं, और इनका एकजुट होकर काजू कतली को वर्ल्ड -फ़ेमस बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है‘‘ !!!!

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