पारस शर्मा, हीरा स्वीट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और उनकी ओर से डॉ. सिबाब्रत साहू जो इस कंपनी के प्रेसिडेंट हैं, उनसे हमने बात कि हीरा स्वीट्स की उस मिठाई के बारे में जो सदियों से उनके पुरखों से चली आ रही है। उन्होंने हमसे बहुत सी अनकही बातों का उल्लेख किया जो आपके सामने प्रस्तुत है।
डॉ. साहू ने MNT को सूचित किया कि, ”बालूशाही का हमारा कारोबार सन 1912 ई0 में शुरू हुआ। वर्तमान की यह चैथी पीढ़ी है जो बालूशाही बना रही है। इस मिठाई की शुरुआत स्वर्गीय पंडित हीरालाल जी ने की, पारस शर्मा उनकी चैथी पीढ़ी में आते हैं। हमारी यह मिठाई ‘‘दिल्ली शाहदरा की मशहूर बालूशाही‘‘ के नाम से प्रसिद्ध है।
डॉ. साहू का मानना है कि वक़्त के साथ स्वाद में बदलाव आया है। इसका कारण यह है कि उस समय गेहूं या मैदा बिल्कुल अलग हुआ करता था जो आज नहीं मिलता। वर्तमान में पर्याप्त गेहूं या मैदे से स्वाद तथा रेसिपी में बदलाव उत्पन्न हुआ है।
लेकिन उसको बनाने के पैरामीटर्स में हमें प्लानिंग करनी पड़ी है क्योंकि हमें उसे आज भी एक जैसे ही रखना है। हमें उसे इस तरह से प्लान करना पड़ता है ताकि बालूशाही का USP, टेक्सचर और उसकी क्वालिटी में कोई फ़र्क़ न आये, यहाँ हम आप को बताते हुए चलें की टेक्सचर और क्वालिटी 2 अलग चीजें हैं। उसके इंग्रेडिएंट्स को भी बनाये रखना ज़रूरी होता है। इसीलिए हर 10-12 सालों में हम उसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री की जाँच करते रहते हैं। कोई भी तत्त्व का बढ़ाना या घटाना बहुत मायने रखता है ताकि उसके क्वालिटी में कोई फ़र्क़ ना आये। स्वाद हमेशा एक जैसा बनाए रखने के लिए हम इन सब बातों को मद्दे नज़र रखते हैं। यही वजह है कि आज भी हम बालूशाही की मैनेजमेंट और मेंटेनेंस को हर तरह बरक़रार रखे हुए हैं।
इसकी एक सेमि-केमिस्ट्री होती है, सेमि-फ़िनिश्ड भी होती है और इसका मतलब यह है कि पहले हम बालूशाही को फ्ऱाई करके निकाल लेते हैं क्योंकि यह शुद्ध देसी घी में बनी मिठाई होती है। बालूशाही को फ्ऱाई कर के निथार लेते हैं ताकि जितना हो सके इसमें से घी निकाल लिया जाये। जब हम देखते हैं कि इसका घी निकल गया फिर हम इसको शक्कर की चाशनी में डुबो देते हैं फिर यह खाने के लिए तैयार होती है और इसके स्वाद में पूरे साल कोई बदलाव नहीं होता। इसका स्वाद लोगों को आज भी बहुत पसंद है और हमारे कस्टमर्स बड़े चाव से खाते हैं।
डॉ. साहू का कहना है कि मिठाई हो या कोई भी प्रोडक्ट, हर चीज़ की एक सीक्रेट रेसिपी होती है। इसका सारा स्वाद इसकी इंग्रेडिएंट्स और इसकी मिस्क्सिंग तथा प्रोसेसिंग पर निर्भर होता है, एक उचित मात्रा में कब कौनसी सामग्री इसमें मिलाना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। एक चीज़ जो पहले से ही मार्केट में है उसको ज़्यादा अच्छे से मेन्टेन रखते हैं और हम उस पर ख़ास ध्यान देते हैं क्योंकि यह लोगों की पसंद का केंद्र बनी हुई है।
डॉ. साहू कहते हैं कि मौसम का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि बालूशाही शुद्ध देसी घी में बनती है और सारा साल एक जैसा ही स्वाद देती है और वह हर मौसम में लोकप्रिय है। यह और बात है कि सर्दियों में इस पर घी जम जाता है क्योंकि यह डीप फ्ऱाई होकर बनती है लेकिन इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। शादियों में, त्यौहारों में सब से ज़्यादा बिकने वाली मिठाई बालूशाही है। त्यौहारों में हमारे यहाँ गिफ़्टिंग के ऑर्डर्स भी आते हैं इसीलिए सालाना तौर पर बालूशाही हमें एक जैसा ही सेल देती है।