मिठाई उद्योग में MSP निर्धारित होना कितना आवश्यक है

एक सौ तीस (१३०) करोड़ आबादी वाले हमारे भारत देश में हजारों लाखों ऐसे उद्योग हैं जो विकास की चरम सीमा पर है। इसकी सबसे बड़ी वजह है यहाँ की आबादी। हर बिज़नेस एंगल से भारत को एक बहुत ही महत्वपूर्ण देश माना जाता है।

भारत में ही नहीं बल्कि विदशों में भी अपने प्रोडक्ट्स को बड़े पैमाने पर बेचने के लिए भारत को एक प्रभावाशाली देश चुना जाता है। हालांकि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते भारत के साथ-साथ अनेक देशों में उद्योगों की हालत काफ़ी खस्ता हो गई थी, लेकिन यह एक सीमित समय की परेशानी थी। एक लिमिटेड पीरियड के लिए कारोबार थम गया था।

लोकडाउन खुलने के बाद, अब एक बार फिर से हर क्षेत्र के बिजनेस में विकास के लिए सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।  

आइए बात करते हैं मिठाई और नमकीन उद्योग की।

इस क्षेत्र में जितना विकास होना चाहिए था, उतना अभी हुआ नहीं है क्योंकि इसकी सबसे बड़ी वजह है आपसी कॉम्पीटीशन और न्यूनतम बिक्री मूल्य का निर्धारित ना होना।

इसलिए अब मिठाई व नमकीन उद्योग के बड़े नामचीन व्यापारियों में यह राय बन रही है कि मिठाई व नमकीन केटेगरी में भी न्यूनतम बिक्री मूल (मिनिमम सेल्लिंग प्राइस) निर्धारित होना चाहिए, ताकि इस क्षेत्र में भी आर्थिक विकास किया जा सके। 

जैसा कि हम जानते हैं किसी भी बिजनेस की सफ़लता में उसकी सरविसज़ या प्रोडक्ट की क़ीमत का अहम योगदान रहता है, और अगर उस प्रोडक्ट की कीमत सही से निर्धारित नहीं की जाए तो वहां नुकसान के आसार बन जाते हैं। यही सोचकर शोधकर्ताओं ने सलाह दी है की हर बिज़नेस में मनुफॅ़क्चरर्स को प्रोडक्ट्स की क़ीमत सही ढंग से तय करनी चाहिए ताकि उनके व्यापार में दिन दुगनी रात चैगुनी तरक़्क़ी हो सके।

 मिठाई उद्योग में भी अगर न्यूनतम विक्रय मूल को निष्चित कर दिया जाए, तो पूरे देश के मिठाई विक्रेताओं को काफ़ी हद तक लाभ मिल सकेगा। वहीं दूसरी ओर अगर कोई व्यापारी गलत नीति के तहत अपने मूल्य का निर्धारण करता है तो वो खुद को तो नुकसान पहुंचाता ही है साथ ही दूसरे मिठाई विक्रेताओं को भी वह नुकसान पहुंचने का गुनेहगार है।

इसलिए यह ज़रूरी है कि भारत के हर शहर के स्तर पर शहर के सभी जाने-माने मिठाई एवं नमकीन विक्रेताओं की समय-समय पर मीटिंग हों और सबकी एकजुट राय होकर मिठाई और नमकीन के लिए न्यूनतम विक्रय मूल (MSP) निर्धारित की जाए ताकि उनके कारोबार को बढ़ावा मिल सके और सब की व्यवसाय में ग्रोथ हो ।

विषेशज्ञों के अनुसार इस प्रकिया के लिए निर्माण लागत, बाजार प्रतियोगिता, बाज़ार की स्थिति एवं उत्पाद की गुणवत्ता जैसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर ही न्यूनतम विक्रय मूल्य को निर्धारित किया जाना चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि कंस्यूमर्स की जरूरतों को मांग में तभी तब्दील किया जा सकता है जब कंस्यूमर्स उस माल को ख़रीदने की इच्छा और क्षमता दोनों रखता हो।   

इन तमाम नज़रिये से मिठाई एवं नमकीन उद्योग में मिनिमम सेलिंग प्राइस (MSP) निर्धारित होना बेहद ज़रूरी हो गया है। इस मामले में एक प्रसिद्ध विद्वान का तो यह भी कहना है कि मूल्य का निर्धारण करना एक बेहद ही मुश्किल काम है, क्योंकि किसी भी प्रोडक्ट का मूल्य तय करने के लिए अभी तक कोई एक निश्चित फार्मूला नहीं बना है।

फिर भी उनका यह कहना है कि अगर किसी भी उद्योग के कुछ सरपरस्त व्यापारी मूल्य को निर्धारित करते हैं तो वे उद्योग से जुड़े सभी विक्रेताओं के लिए फ़ायदेमंद होता है। लेकिन अगर मिठाई एवं नमकीन उद्योग के क्षेत्र में देखा जाए तो इसके मूल्य निर्धारण में जो सबसे बड़ी रुकावट है वह है आपसी कॉम्पीटीशन।

सिर्फ़ आपसी कॉम्पीटीशन के मुद्दे को लेकर काफ़ी लोग एक दूसरे के कारोबार को तबाह करने पर उतारू हो जाते हैं, जो उद्योग के लिए नुक़्सानदे तो है ही साथ-साथ मानवता पर भी भोज है।   

इस पूरे मामले को लेकर मिठाई और नमकीन क्षेत्र के जाने-माने विषेशज्ञ फ़िरोज़ हैदर नक़वी (डायरेक्टर-फाउंडर-FSNM) ने हाल ही में कई तथ्यों को लेकर एक सकारात्मक पहल की है । इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए नक़वी ने भारत भ्रमण का मन बना लिया और हाल ही में उन्होंने कई राज्यों का दौरा किया।  सबसे पहले वह उत्तर प्रदेश के कई जाने-माने शहर जैसे-मुरादाबाद, लखनऊ, वृन्दावन, मथुरा, आगरा, बरैली, अलीगढ़, काशीपुर का दौरा किया। यहाँ उन्होंने उन शहरों के मिठाई एवं नमकीन विक्रेताओं के साथ मुलाक़ात की और इस उद्योग के आर्थिक विकास को लेकर चिंता जताते हुए अपना पक्ष रखा कि जब तक हम मिठाई एवं नमकीन उद्योग में न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित नहीं करेंगे तब तक इस क्षेत्र में विकास संभव नहीं है। 

नक़वी ने ख़ासकर पंजाब को लेकर काफ़ी चिंता जताई। पंजाब में चंडीगढ़, लुधिआना और जालंधर उनके दौरे का हिस्सा बने  उन्होंने बताया कि जब वह पंजाब पहुंचे तो उन्होंने पाया कि वहां पर मिठाई एवं नमकीन के दाम काफ़ी कम हैं जिसका नुक़सान सिर्फ़ दुकानदार को ही नहीं बल्कि कस्टमर को भी झेलना पढ़ रहा है। क्योंकि जो मिठाई विक्रेता कॉम्पीटीशन के चलते सस्ती मिठाईयॉँ बेच रहे हैं वो लोग मिठाई की क्वालिटी को भी मेंटेन नहीं कर रहे होंगे, जिसके चलते वह अपना नुक़सान तो कर ही रहे हैं, साथ ही सभी मिठाई के शौकीन कस्टमरों के स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंचा रहे हैं। 

नक़वी ने बताया कि अभी वह भारत के दूसरे राज्यों में भी जाएंगे और वहाँ की स्थिति का भी जायज़ा लेंगे। सभी राज्यों के प्रमुख शहरों में जाकर वह वहाँ के नामचीन मिठाई एवं नमकीन विक्रेताओं के साथ मीटिंग करके उनके शहर में न्यूनतम बिक्री मूल्य को निर्धारित करने का आग्रह करेंगे।

न्यूनतम बिक्री मूल्य का उदाहरण दें तो यूं मान लीजिए जैसे कोई मिठाई लागत और सही प्रॉफ़िट के बाद 600 रुपए तय की जाती है, और यह अनिवार्य कर दिया जाए कि कोई भी मिठाई विक्रेता उस मिठाई को 600 रूपये से कम नहीं बेचेगा। 600 रूपये से ऊपर वह अपनी क्वालिटी के अनुसार चाहे 800 रुपए किलो बेचे या फिर 1000 रूपए किलो, यह उसकी मर्ज़ी पर निर्भर होगा। लेकिन उस मिठाई को कोई भी विक्रेता 600 रूपए किलो से कम में नहीं बेच सकता।

अगर इस तरह के नियम सभी शहरों में बना दिए गए तो वह दिन दूर नहीं जब मिठाई एवं नमकीन उद्योग भी दूसरे विकसित उद्योगों की तरह विकास की दिशा में बड़े क़दम आगे बढ़ाता जायेगा, लेकिन इसके लिए हर शहर में एक उचित एवं सही सेल्स रणनीति का होना आवश्यक है। 

आइए अब यह जानते हैं कि इस क्षेत्र में MSP का निर्धारण किस तरह से किया जाए..

ज्ञात हो कि इस क्षेत्र में मूल्य निर्धारण के लिए मिठाई विक्रेताओं को यह तो समझना होगा कि किसी भी फ़ूड प्रोडक्ट्स की सेलिंग प्राइस उसके माल बेचने की क्षमता पर ही निर्भर होती है। मिसाल के तौर पर आम आदमी दो-तीन सौ रुपए वाली घड़ी और एक महंगी ब्रांडेड घड़ी में कुछ भी फ़र्क़ महसूस नहीं करता। वह तो बस यह जानता है कि दोनों में टाइम देखा जाता है। लेकिन मिठाई के क्षेत्र में ऐसा नहीं है। यहाँ पर क्वालिटी और ब्रैंड दोनों को ही तोला जाता है।

इसलिए मिठाई के मामले में मूल्य का निर्ध ारण करने से पहले उसकी क्वालिटी, हाईजीन और सेवा पर भी सभी विक्रेता को ध्यान देना होगा। साथ ही उन्हें अपने ग्राहकों की ख़रीदारी की क्षमता पर भी ध्यान देना होगा।

आजकल सोशल मीडिया एवं इंटरनेट का दौर है अगर कोई भी मिठाई विक्रेता अपनी मिठाई या अपने किसी अन्य प्रोडक्ट की गुणवत्ता के बारे में ग्राहकों का विचार या फ़ीडबैक जानना चाहता है तो वह WhatsApp / email आदि के माध्यम से कुछ ख़ास चुने हुए ग्राहकों से उनके विचार यानी फ़ीडबैक मंगा सकता है।

यह प्रक्रिया भी मिठाई एवं नमकीन के मूल्य को निर्धारण करने में सहायक साबित हो सकती है। किसी भी प्रोडक्ट के मूल्य निर्धारण करने से पहले और भी कुछ पॉइंटस है जिन पर मैनुफ़ैक्चरर्स को ध्यान देना ज़रूरी है जैसे…

1. प्रोडक्ट में लागत की जानकारी

हर क्षेत्र के उद्योग में जानकारों का मानना है कि किसी भी प्रोडक्ट या सेवा के मूल्य को निर्धारण करने से पहले उसके प्रोडक्शन की लागत और ग्राहकों को पहुंचाने तक की अन्य लागत का जानना बेहद ही ज़रूरी है। क्योंकि कोई भी विक्रेता जब अपना कुछ भी माल बेचता है तो वह उस पर प्रॉफ़िट कमाने के लिए ही बेचता है इसलिए उसके प्रोडक्ट की कीमत कभी भी उसकी लागत से कम नहीं होनी चाहिए, तभी उस विक्रेता को अपने प्रोडक्ट की लागत का सही मूल्य मिलेगा, वह उस पर अपना मार्जिन रखकर अपने माल को बाज़ार में बेच पाएगा और अगर यह लोग अपने मूल्य का निर्धारण करते हैं कि इससे कम हमें नहीं बेचना है तो उनके आर्थिक लाभ को कोई भी नहीं रोक सकता।

इसलिए मिठाई के क्षेत्र में भी विक्रेता को यह जानना ज़रूरी होगा की वास्तविक लागत शाब्दिक लागत से कहीं ज्यादा होती है, इसका ध्यान रखते हुए उन्हें हर बिंदु पर गौर करना होगा,जैसे प्रोडक्ट बनाने के बाद माल को दुकान तक पहुंचाने का किराया, शिपिंग चार्जेस और स्टॉकिंग आदि..

2. रेवेन्यू टारगेट होना जरूरी है

हर मिठाई एवं नमकीन विक्रेता की उपस्तिथि मार्किट में बहुत जरूरी क्योंकि वह अपने व्यापार को प्रगति की दिशा पर ले जा सके। इन बातों के अलावा उसे अपने रेवेन्यू टारगेट को भी सेट करना होगा। 

यानी उसे हर महीने यह तय करना चाहिए कि मुझे इस महीने में कितनी सेल करनी है और कितना प्रॉफ़िट कमाना है और यह तभी मुमकिन है कि जब शहर के सभी मिठाई विक्रेता एक साथ मिलकर अपनी मिठाइयों की MSP तय करें। अगर यह लोग मिनिमम सेलिंग प्राइस तय कर लेते हैं जिस पर उन्हें अपना माल बेचना है तो ये अच्छा बिजनेस कर सकते हैँ। 

3. आपसी कॉम्पिटिशन दूर करने की कोशिश करें

अगर मिठाई विक्रेताओं को अपने व्यापार के आर्थिक विकास के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य प्रणाली निर्धारित करनी है तो उन्हें अपने व्यापार में किसी तरह का कॉम्पिटिशन या प्रतिद्वंद्विता नहीं करनी चाहिए। MSP तय होने के बाद उसके ऊपर वह अपनी गुणवत्ता के हिसाब से मन-चाहा प्राइस रख लें लेकिन डैच् तय करते वक्त उसकी हद का ख़्याल रखना होगा और उस पॉइंट पर कोई भी कॉम्पिटिशन सही नहीं ठहराया जा सकता।

इसके अलावा भी मिठाई एवं नमकीन उद्योग को विकसित करने के लिए अनेक बारीकियां हैं जो हम अपने अगले लेख में आपको बताएंगे।

फ़िलहाल यह तो तय है कि मिठाई एवं नमकीन उद्योग के विकास के लिए MSP का निर्धारित होना बहुत ही आवश्यक है।

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