होली की गुजिया से लेकर ठंडाई तकहर त्यौहार में मिठाई व नमकीन के साथभारतीय खरीदारों की भावनात्मक संबंध की खोज

वृंदावन की होली लठमार,

मथुरा की होली फुलमार,

रंगों की आई फुहार,

खाकर गुजिया और पीकर ठंडाई,

मुबारक हो आपको होली का त्यौहार।

गुलाल, गुजिया और गाना- बजाना – इन तीन चीज़ों के बिना तो होली का त्यौहार पूरा हो ही नहीं सकता। हर भारतीय फिर वो किसी भी राज्य से हो, हर कोई इससे संजोग रखेगा। पुरानी यादों में शामिल होना संजोई गई यादों के ख़ज़ाने में ग़ोता लगाने जैसा है और हम में से कई लोगों के लिए ये यादें अक्सर उत्सव की परंपराओं से जुड़ी होती हैं, जो खुशी, एकजुटता और निश्चित रूप से स्वादिष्ट व्यंजनों की भावना पैदा करती हैं।

पीढ़ियों से हमारे सांस्कृतिक उत्सवों का एक अभिन्न अंग रही मिठाई और नमकीन के स्वादिष्ट स्वाद को याद करते समय कोई भी खुशी की लहर महसूस किए बिना नहीं रह सकता। विकसित हो रही दुनिया में, ये पारंपरिक मिठाइयाँ और स्नैक्स टाइम कैप्सूल की भाँति हैं, जो हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करते हैं।  वे हमें अपनी जड़ों की ओर वापस लाते हैं, हमें उन साधारण सुखों की याद दिलाते हैं जिनका हमने बचपन में आनंद लिया करते थे, और हम अपने प्रियजनों से जुड़ते हैं जो इन समय-सम्मानित परंपराओं से गुजरे हैं। 

आज के इस लेख में हमने उसी नॉस्टेल्जिया अनुभव का परिक्षण किया है और हमारे मिठाई जगत के कुछ खास व्यक्तियों से इस विषय पर उनके विचार लिए हैं जो सदियों से अपनी मिठाइयों के जरिये अपने ग्राहकों के इस नॉस्टेल्जिया अनुभव के सहभागी रहे हैं।

जब भारतीय ग्राहक मिठाई या नमकीन खरीदने आता है, तो उसे उस त्यौहार से जुड़ी हुई कई तरह की पुरानी, भावनिक और आध्यात्मिक भावनाएं महसूस होती हैं। उदाहरण के तौर पर होली पर ठंडाई और कई तरह गुजिया खाने और खिलाने का चलन है।

तो इसी विषय पर हमने कुछ सवाल वृंदावन के रॉयलभारती के गिरीश भारतीमथुरा से श्री राधा रानी रसगुल्ला भंडार के सपन साहा नागोरी स्वीट्स केविजय अग्रवालसूरत से 24 कैरट मिठाई मैजिक के ब्रिजकिशोर मिठाईवाला से पूछे जिसमें से पहले सवाल था:

मिठाई या स्नैक्स खरीदने वाले भारतीय ग्राहक अक्सर त्यौहारों से जुड़ी भावनाएं लेकर आते हैं। मिठाई निर्माता के रूप मेंक्या आपको लगता है कि ग्राहक की पुरानी यादें उनके खरीद निर्णयों को प्रभावित करती हैं?

इसका उत्तर देते हुए गिरीश भारती ने हामी भरते हुए कहा की, “हां, बिल्कुल करती है। पुरातन और सनातन काल से चली आ रही हमारी यह परंपराएं हैं जो बड़े बुजुर्गों के जरिये, हमारे माता पिता के जरिये हम तक आयी हुई हैं और हमारे माध्यम से आगे की पीढ़ी की और जाएंगी। हमें आज भी याद है हमारे यहां गुजिया, ठंडाई और भुजिया यह व्यंजन को होली के वक़्त आस-पड़ोस और रिश्तेदारों के घर भेजने का चलन था और आज भी यह परंपरा हमारे यहां चल रही है। तो जब भी कोई त्यौहार आता है और उससे जुड़ी कोई भी मिठाई या सामग्री हम खरीदने जाते हैं तो जरूर तौर से यह नॉस्टेलिया अनुभव ग्राहकों के ख़रीदनिर्णय को प्रभावित करती है।

वहीं विजय अग्रवाल का भी यहीं मानना है की पुरानी यादों से जुड़ी यह परंपरा आनेवाले ग्राहक के ख़रीदनिर्णय को प्रभावित करती हैं और यही कारण भी है कई साल से वो ग्राहक उसी दुकान से खरीदारी करता है जहाँ से उसके बड़े बुर्जुर्ग खरीदी किया करते थे। हम खुद नागौर से है और हमारे यहाँ तो चलन ही है की होली पर उसी क़िस्म की गुजिया खायी जाती है तो जाहिर है आज भी वही रस्म हमारे यहाँ निभाई जा रही है।

श्री राधारानी रसगुल्ला भंडार की सपन साहा और उनके बेटे दर्श ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि बृज की निवासी होने के नाते यहां की होली पूरे भारत की आइकोनिक होली मानी जाती है और और यहां पर तो होली के पकवान जैसे गुजिया या अन्य व्यंजन यह होली के एक महीने पहले से ही बनना शुरू हो जाते हैं। तो यह एक चलन है जो प्राचीन काल से चला आ रहा है और यह भविष्य में भी जारी रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।

ब्रिजकिशोर मिठाईवालाने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा की जब हमारे ग्राहक वापस हमारे पास आते हैं, तो उन्हें पिछले साल की मौसमी मिठाइयाँ याद आती हैं जिनका उन्होंने आनंद लिया था। होली पर गुजिया को पसंदीदा गुजराती व्यंजन-श्रीखंड के साथ जरूर खाना चाहिए। केसरिया घेवर और रसगुल्ला भी पसंदीदा हैं, जबकि ठंडाई की भारी मांग है, जो उत्सव का उत्साह बढ़ाती आ रही है। यही बात इसका प्रमाण देती है की नॉस्टेल्जिया अनुभव ग्राहक की ख़रीदारी निर्णय को प्रभावित करती है तथा मिठाई निर्माता के साथ घनिष्ठ संबध प्रस्थापित करते हैं ।

मिठाई और नमकीन के मामले मेंगुणवत्ता और प्रामाणिकता सबसे महत्वपूर्ण होती हैं। ग्राहक वहां से उत्पाद चाहते हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ उनको पारंपरिक व्यंजनों का असली सार भी मिलता हो। वे ब्रैंड पर भरोसा करते हैं जो उच्च गुणवत्ता के सामग्रीपारंपरिक खाना पकाने की तकनीकऔर बारीकियों पर ध्यान देते हैंक्योंकि इससे उनके ग्राहकों पर स्थायी प्रभाव पड़ता है।

प्रामाणिकता एक प्रमुख कारक है जो ग्राहकों और इन त्यौहारी उपहारों के बीच संबंध को मजबूत बनाए रखता है। ग्राहक उन ब्रैंड्स की सराहना करते हैं जो मिठाई और नमकीन की विरासत और सांस्कृतिक महत्व को समझते हैं। पारंपरिक व्यंजनों और उत्पादन विधियों को बनाए रखते हुएब्रैंड्स खुद को पाक परंपराओं के संरक्षक के रूप में स्थापित कर सकते हैंजिससे उनके उत्पादों की पुरानी अपील में और वृद्धि हो सकती है।

हमारा दूसरा सवाल जो हमने पूछा वो था क्या इस वर्ष ग्राहकों की होली को यादगार बनाने के लिए आपने कोनसी नयी रणनीति और उत्पाद बनाये है?

इस सवाल का जवाब गिरीश भारती ने उत्साहित होकर कहा की, “हां… बिलकुल, इस बार हमने 4 – ५ तरह की गुजिया उपलब्ध करवा रहे हैं जिसमें हमारी स्पेशियल्टी रहेगी – “आम की गुजिया“।

विजय ने इसका उत्तर देते हुए कहा की इस वक़्त तो हमने कोई नयी वैरायटी तो नहीं बनाई पर भविष्य में हम गुजिया के नए फ्लेवर लाने के विचार में है।

सपन ने उत्तर देते हुए कहा की होली पर तो ब्रिज में तीन तरह की गुजिया पारंपरिक तौर से बनाई जाती हैं जैसे सादा गुजिया, चाशनी वाली गुजिया और ड्राईफ्रूट्स गुजिया। चंद्रकला का चलन भी हम आगे बढ़ा रहे हैं ।

ब्रिजकिशोर ने समाती देते हुए कहा की, “हमने इस बार भी एक प्रोडक्ट बनाया है जो हमारे मूल्यवान ग्राहकों के लिए एक विशेष पेशकश है! कोई भी 4 आईटम्स चुनें, और उन 4 आईटम्स पर हम 500 ग्राम की खरीद पर 250 ग्राम मुफ्त दे रहे हैं। इस ऑफर ने हमारे ग्राहकों के बीच काफी उत्साह पैदा कर दिया है, और वे महसूस करते हैं कि 24 कैरेट मिठाई मैजिक उनकी वास्तव में परवाह करता है।

पैकेजिंग और मार्केटिंग के माध्यम से पुरानी यादों को मिठाई और नमकीन के मार्केटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पारंपरिक रूपांकनजीवंत रंगऔर पैकेजिंग के माध्यम से ग्राहकों को उस समय में वापस ले जाने का अभूतपूर्व अवसर मिलता हैजब ये व्यंजन उनके उत्सवों का अभिन्न हिस्सा थे। परंपरा और पुरानी यादों के तत्वों को शामिल करकेब्रैंड प्रामाणिकता की भावना पैदा कर सकते हैंजिससे उनके उत्पाद अपनी सांस्कृतिक जड़ों से वास्तविक संबंध चाहने वाले ग्राहकों के लिए और भी आकर्षक बन सकते हैं।

हमारा तीसरा और आखरी सवाल इसी संदर्भ में था की क्या आपने इस नॉस्टल्जिक एहसास को और यादगार बनाने के लिए कोई विशेष पैकेजिंग या प्रचार माध्यमों का उपयोग किया है?

जिसका उत्तर देते हुए गिरीश भारती ने कहा की कोई विशेष तरह की पैकेजिंग तो हमने नहीं की है क्यूंकि हमारा मानना है की अगर आप ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी और स्वाद दे रहे है तो आपको विशेष प्रकार के पैकेजिंग की जरुरत नहीं रहती और रहीं बात प्रचार माध्यम की तो मेरी व्यक्तिगत राय के अनुसार माउथ पब्लिसिटी के शिवाय उत्तम माध्यम नहीं है फिर भी बदलते वक़्त के साथ ग्राहकों से जुड़े रहने के लिए आजकल चले रहे सोशल मीडिया का उपयोग भी हम करते हैं।

सपन साहा ने इसका उत्तर देते हुए कहा की होली आते ही हम होली के पोस्टर बनाकर सोशल मीडिया जैसे की इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और व्हाट’स अप के जरिये हमारे ग्राहकों को सूचित करते है।

विजय अग्रवाल ने कहा की यहां ब्रिज में मेट्रो सिटीज जैसे कस्टमाइज़्ड हैंपर वैगेरे बनाते नहीं हैं इसलिए विशेष पैकेजिंग वैगरे यहां पर इतना महत्व नहीं है, जितना पारंपरिक मिठाई और स्वाद का। प्रमोशन के लिए इंस्टाग्राम और व्हाट्सप बिजिनेस जैसे माध्यम का हम उपयोग करते हैं ।

वहीं ब्रिजकिशोर ने इसका उत्तर देते हुए कहा की सूरत जैसे मेट्रो सिटीज में होने के कारण होली जैसे विशेष अवसर पर प्रियजनों को मिठाई भेजना एक परंपरा है, और पैकेजिंग महत्वपूर्ण है। हमने केसर, ठंडाई, गुजिया और घेवर जैसी आवश्यक चीज़ों का एक कॉम्बो तैयार किया है, जो उपहार देने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। साथ ही, हम उत्सव की भावना को बढ़ाने के लिए जैविक रंगों को भी शामिल करते हैं।

निष्कर्ष:होली के इस खास मौके पर, मिठाई निर्माताओं से हुई इस बात से यहीं सारांश निकलता है की नॉस्टेल्जिया का सही उपयोग करके ग्राहकों के दिलों को छूने का कारगर तरीका अपनाया है। पुरानी यादों, रिश्तों, और सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से ग्राहकों को जोड़ते हुए, इन मिठाईयों ने एक अद्वितीय संबंध बनाया है। निर्माताओं ने नए रुचिकर उत्पादों, विशेष पैकेजिंग, और सोशल मीडिया के माध्यम से ग्राहकों को प्रभावित करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं। इस रूप में, ये सिर्फ एक मिठाई निर्माता सिर्फ एक कंपनी नहीं  बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव के दूत और धरोहर भी हैं, जो ग्राहकों को उनकी अपनी पुरानी यादों में ले जाने में सफल हैं।

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