पी. वी. वी. एस मलिखार्जुन राव जो श्री भक्तांजनेया वरी सुरुचि फूड्स लिमिटेड‘ के मालिक हैं, उनकी इस कंपनी का एक ख़ास प्रोडक्ट जिसको उनके पिताजी श्री पोलीसेटी सथिराजू ने तपेश्वरम खाजा के नाम से सन 1930 ई0 में शुरू किया।
मल्ली बाबू बताते हैं कि वह दूसरी पुश्त हैं अपने प्रोडक्ट खाजा को बनाने में। उन्होंने कहा कि, “इस व्यवसाय को सन 1990 ई0 में मैंने अपने हाथों में लिया और तब से लेकर आज तक वह अपने पिताजी के इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं”।
उनके पिताजी ने शहर के नाम पर अपने उत्पाद का नाम तपेश्वरम खाजा रखा और आज वह उसी नाम से प्रसिद्ध है। वह कहते हैं कि, तपेश्वरम खाजा ही हमारी पहचान है। हम अपने प्रमुख ग्राहकों को अपने सर्वोत्तम उत्पाद परोसते हैं। प्रामाणिक भारतीय तपेश्वरम खाजा की पहचान इसके स्वरूप से मदाथा खाजा के रूप में की गई है”।
वह बताते हैं कि आज भी उन्होंने वही स्वाद बरक़रार रखा है जो उनके पिताजी ने आज से 92 साल पहले शुरू किया था। उन्होंने अपने तरफ़ से यह भी कोशिश की है कि खाजा की शेल्फ़-लाईफ़ बढ़ाई जाये। पहले जो रॉ-मटीरियल्स इस्तेमाल होते थे जैसे मैदा और शक्कर की क्वालिटी को बढ़ाया गया है जिसकी वजह से खाजा के स्वाद में बढ़ोतरी आयी है। हम आज भी उसी परंपरागत तरीक़े से खाजा को बनाते हैं जो पहले उसका तरीक़ा था, हमने उसमें कोई तबदीली नहीं की। हमारे पास उसकी कोई ख़ास रेसिपी नहीं है उसका स्वाद उसके सही समय पर बनाने के ढंग पर निर्भर है। निश्चित रूप से हमारे उत्पाद में आज भी वह सभी गुण और विशेषताएं हैं जो इसे पूरे भारत में हमारे उत्पाद का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम बनाती हैं। यह एक हल्का-फुल्का मीठा है जो कई देशों में मशहूर है।
तपेश्वरम मदाथा खाजा चीनी की चाशनी में डूबी एक तीव्र तली हुई परतदार पेटी है जो मिठास से लबरेज़, कुरकुरा और रसदार उत्पाद है। यह एक स्वादिष्ट क्रम्ब्लड सुनहरी खाजा मिठाई है, जो मैदा, बेकिंग पाउडर, घी और चीनी की चाशनी का उपयोग करके इलायची मसाले की सुगंध के साथ तथा आवश्यक सामग्री को सम्मिलित कर के तैयार किया जाता है, जिसको खाते ही लोग मंत्र मुग्ध हो उठते हैं।
मल्ली बाबू ने कहा कि अगर हम मौसम के हिसाब से देखें तो खाजा पर किसी भी तरह के मौसम का कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि वह ड्राई और डीप फ्ऱाइड होता है इसीलिए उसका स्वाद यथावत बना रहता है। यह डीप फ्ऱाई करने के बाद शक्कर की बनी चाशनी में डुबो दिया जाता है। उनका मानना है कि चाशनी में डूबी हुई कोई भी मिठाई जल्दी ख़राब नहीं होती। यही वजह है खाजा के लम्बे समय तक टिके रहने का।