भारत के सबसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्यों में से एक है पश्चिम बंगाल। “ए सिटी विथ सोल”। (A City with soul) इसी लफ़्ज़ों में पश्चिम बंगाल का वर्णन अगर करें तो इसमें कुछ ग़लत नही होगा। धर्म, वर्ण और खाद्य संस्कृति से भरपूर यह राज्य अपने हर उत्सव को ऐसे मनाता है जैसे अब कोई और उत्सव इसके बाद न होगा !!
उत्सव की बात करें तो रमज़ान का पाक महीना बस अभी गए महीने में ख़त्म ही हुआ और पुरे विश्व में ईद का त्यौहार धूम-धाम से मनाया गया। इस शहर से, इस महीने का “प्रोडक्टऑफ द मंथ” इसलिए चुना गया क्योंकि आज का यह व्यंजन मानो ख़ास इस त्यौहार के लिए ही बनाया गया है।
जहाँ इस्लामी खान-पान में फ़िरनी, रबड़ी, शीर ख़ुर्मा, फ़ालूदा अपना स्थान बनाये बैठे हैं, वहीं यह व्यंजन अपने अलग रूप, रंग, स्वाद और अपने गुणवत्ता की वजह से लोगों की पसंद बना बैठा है। पायेश यानी की गाजर की खीर और यह विशेष अविष्कार है कोलकाता के मोती कनेफ़्क्शनरी के महबूब खान का।
2016 में उन्होंने इसकी एजाद की। तब से यह उनके व्यापर का एक मुख्य विक्रय उत्पादन बना है। स्पेशल गाजर की खीर (पायेश) हलवा और खीर का एक अनूठा मेल है, जिसकी रमज़ान ईद, दुर्गा पूजा, दिवाली और ऐसे ही अन्य त्यौहारों के दौरान काफ़ी मांग होती है। विशेष रूप से प्रशिक्षित और अनुभवी मिठाई कारीगरों के द्वारा बनाये जानेवाला यह पदार्थ सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले गाजर, गोविंदभोग चावल, घी, दूध, सूखे मेवे, टूटी फ्रूटी और चीनी के साथ तैयार किया जाता है। यह खीर बहुत ही पौष्टिक होती है और इस खीर की सबसे अच्छी बात यह है कि यह पेट के लिए बहुत ही हल्की होती है। इसका एक बड़ा कटोरा खाने के बाद भी आपको “फ़ूड कोमा” (खाना खाने के बाद आनेवाला आलस/नींद महसूस नहीं होता।
यहां तक कि वरिष्ठ नागरिक भी इसका आनंद ले सकते हैं क्योंकि इसकी बनावट नाजुक होती है और यह नरम भी होता है। हाज़मे के लिए भी पायेश हल्का होता है। इस ख़ास मिठाई के इस दिव्य स्वाद के कारण ही इनके शहर तथा आसपास के शहरों में भी काफ़ी प्रचलित है। मोती कन्फे़क्शनरी के पायेश के साथ-साथ ही उनके अन्य उत्पादन जैसे मोती पाक, घी कलाक़ंद, पंजीरी टिक्की, ढोड़ा बर्फ़ी, काजू कैरामेल बिस्किट भी प्रसिद्ध हैं।