होली पर गुजिया की वैराइटीज़ में बढ़ौतरी अन्य मिठाईयों से बिक्री का हिस्सा सोच से भी ज़्यादा!!

हर साल की तरह होली के त्यौहार के अवसर पर मिठाई व नमकीन टाईम्स ने इस साल भी पुरे भारत का दौरा किया और मुद्दा रहा होली की स्पेशल मिठाई गुजिया का। भारत के विभिन्न निर्माताओं की गुजिया से जुड़ी जानकारी का लेखपत्र हम आपके सामने पेश कर रहे हैं। यह लेखपत्र होली पर गुजिया की डिमांड और बाक़ी मिठाईयों में इसका हिस्सा क्या है इस लेख में दर्शाता है। 

यूँ तो गुजिया से हर कोई परिचित है फिर भी इस के बारे में लिखना एक परंपरा बनी हुई है जिसका उल्लेख हमने आगे किया है।भारत के प्रत्येक राज्य में गुजिया का निर्माण होता है और उसी राज्य के नामकरण से पहचानी भी जाती है, उदाहरण के तौर पर जैसे गुंजिया, गुंजा, गुघरा, पेड़ाकिया, करंजी, कज्जिकायालू, समोसा, करंजिकायी इत्यादि नाम से गुजिया की पहचान है।
इसे गुजरात में गुघरा, महाराष्ट्र और ओडिशा में करंजी, तमिलनाडु में समोसा, तेलंगाना में गरिजालु, आंध्र प्रदेश में कज्जिकायलु, कर्नाटक में करजिकायी या करिगडुबु के नाम से जानी जाती है।गोवा में, गोवावासी अपने त्यौहारों के अवसर पर नारियल और गुड़ की गुजिया तैयार करते हैंरू वे इसे नेवरी या नेउरी (बहुवचन न्यूरो) कहते हैं। ओडिशा में गुजिये के भीतर नारियल या दही पनीर आधारित फ़िलिंग की जाती है ।

गुजिया का सबसे पहला उल्लेख 13वीं सदी में मिलता है, जब गुड़-शहद के मिश्रण को गेहूं के आटे से ढक कर धूप में सुखाया जाता था।गुजिया को बनाने की विधि पूरी दुनिया में एक समान है। भिन्न है उसका भरण और इसके कुछ आकार। भारत में भी कई क्षेत्रीय व्यंजनों में गुजिया के एक समान व्यंजन हैं, लेकिन विभिन्न भरावों के साथ। कुछ गुड़ का प्रयोग करते हैं तो कोई शकर के बूरे का, कोई सूखी गुजिया बनाता है तो कोई नमकीन !!

होली के उत्सव पर गुजिया का चलन बहुत पुराना है। बिहार में छठ पूजा में प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। बिहार में दो प्रकार की गुजिया बनती हैंरू एक सूजीध्रवा के साथ और दूसरी खोया के साथ। सूजी वाली गुजिया में, सूजी, चीनी, बादाम, ईलायची, किशमिश और अन्य मेवों के साथ भूनकर घी में डीप फ्ऱाई किया जाता है। और खोया वाली गुजिया में शुद्ध खोया को मेवे और चीनी के साथ मिलाकर डीप फ्ऱाई किया जाता है। दोनो गुजिया हैं लेकिन स्वाद अलग!!

गुजिया का क्या इतिहास है ?गुजिया की उत्पत्ति के पीछे कई सिद्धांत हैं, उनमें से एक तुर्की का बकलावा है। ऐसा माना जाता है कि गुजिया का विचार तुर्की के बकलावा से उत्पन्न हुआ होगा, जो आटे और शहद के आवरण में लिपटी हुई और सूखे मेवों से भरी मिठाई है।

भारत में गुजिया का आविष्कार कहाँ हुआ?गुजिया मिठाई के रूप में संभवतः अपने वर्तमान अवतार में बुंदेलखंड या ब्रज क्षेत्र में उत्पन्न हुई थी, यह अपरिहार्य है कि गुजिया के लिए खोया पसंद का भराव रहा है। आखि़रकार, यह क्षेत्र उत्तरी भारत का मूल ष्बवूइमसजष् है जो अपने दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है।

जो कोई भी राजस्थान के बुंदेलखंड क्षेत्र में पले-बढ़े हैं, इस तथ्य के लिए प्रतिज्ञा कर सकते हैं कि गुजिया वहां मनाए जाने वाले प्रत्येक त्यौहार की आत्मा में समाहित हैं।

गुजिया के टॉपिक पर लिखने के लिए काफ़ी मात्रा में लेख हैं, लेकिन अपने मुद्दे से न हटकर हम आपका ध्यान अपने साक्षात्कारकर्ताओं के साथ हमारे सरल प्रश्नों और उनके दिए उत्तरों और साथ हुई बातचीत की ओर आकर्षित करना चाहते हैं जो नीचे उल्लिखित हैं:
1.भारत में कितने प्रकार की गुजिया बनाई जाती हैं?

2.आपकी बनाई गुजिया अन्य निर्माताओं से अलग कैसे है?

3.होली के त्यौहार के दौरान मिठाईयों की बिक्री में गुजिया का कितना हिस्सा (share) रहता है?

चलिए शुरूआत करते हैं आगरा केे अमित गोयल से जो गोपाल दास पेठेवाले के ओनर हैं। उन्होंने अपने विचार होली की सुप्रसिद्ध गुजिया को लेकर कुछ इस तरह व्यक्त किये है।
“समय के साथ गुजिया की मांग तेज़ी से बढ़ी है। आज से लगभग 25 साल पहले, जब मैं इस व्यवसाय में शामिल हुआ और तब से मैं स्पष्ट रूप से देखता चला आ रहा हूँ कि आज का युवा पारंपरिक मिठाई की तरफ़ ज़्यादा सुलभ है, साथ ही मिठाई की तरफ़ उनका रुझान बढ़ गया है।
उन्हें मिठाईयाँ बहुत अच्छी लगती हैं क्योंकि ये बचपन से खाई हुई हैं, तो उनके स्वाद ज़हन में बसे हुए है, साथ ही आज के दौर में युवाओं में टेस्ट फ़्यूजन (Taste Fusion) का ट्रेंड विकसित हुआ है, किसी को चॉकलेट की गुजिया किसी को केरेमल की गुजिया तो किसी को नमकीन गुजिया पसंद है साथ ही ठंडाई गुजियो, पचरंगी गुजिया, न्यूटेला गुजिया जो ये सब हमने पिछले साल बनाई थी। साथ ही अनेक प्रकार की गुजिया बनाई गई थी, इस प्रकार के टेस्ट यूथ को जब से फ़्यूजन के रूप में मिलने लगे तो इनकी मांग और बढ़ गयी है। जैसा की गुजिया पुराने लोगो की पसंदीदा रही है, इसलिए समय के साथ-साथ इसकी डिमांड हर हाल में बढ़ी है और मेरे नज़रिये से यह मांग और बढ़ती ही जाएगी।
जैसा की सवाल आता है कि हमारी गुजिया बाक़ी निर्माताओं से अलग कैसे है तो मेरे लिहाज़ से सबकी बनाई गुजियों की अपनी ख़ासियत है। सब अच्छा काम कर रहे हैं, और स्वाद विकसित कर रहे हैं। हमारी गुजिया की रेसिपीस स्थानीय/क्षेत्रीय स्वाद के हिसाब से और यूथ के टेस्ट फ़्यूजन के हिसाब से बनाई जाती है। हम हर साल अपनी गुजिया में कुछ न कुछ नया टेस्ट डेवलप करने की कोशिश करते रहते हैं। 
ट्रेडिशनल गुजिया के साथ नई-नई गुजिया भी इंट्रोडूस करते रहते हैं जैसे की हमने वर्ल्ड फ़ेमस बकलावा को भी गुजिया के रूप में बना दिया है, साथ ही शुगर पेशंट के लिए भी शुगर-फ्ऱी और नमकीन गुजिया बना रहे है। खट्टी-मिट्ठी गुजिया एवं ठंडाई का फ़्लेवर देकर ठंडाई गुजिया भी बनाई है साथ ही आशा करते हैं की साल दर साल गुजिया की मांग बढ़ती ही जाए।  
होली के दौरान बाक़ी मिठाईयों की सेल्स में गुजिया का हिस्सा हमारी सोच से भी ज़्यादा है। हमारी गुजिया की बिक्री का हिस्सा अन्य मिठाईयों की सेल का 70  से 80  प्रतिशत होता है। 
यूँ तो होली गुजिया का ही फ़ेस्टिवल है। साथ ही गुजिया, ठंडाई और भांग इन तीन शब्दों से होली मनती है। और हर वर्ग के व्यक्ति गुजिया खाते ही खाते है होली पर। बिना गुजिया के उनकी होली अधूरी सी रहती है।।
अगर बात करे देश की आबादी की तो आप सोच सकते हैं की होली के अवसर पर कितने लोग गुजिया खाते होंगे !!
इस लिए कहा जाता है की-होली के रंग गोपालदास के संग!!

हमारे साथ जुड़े हैं संदीप अग्रवाल, देवीराम स्वीट्स, आगरा से और इनके गुजिया बनाने का अंदाज़ ही निराला है। संदीप जी ने बहुत उल्हासपुर्वक देवीराम स्वीट्स में इस होली नए ज़ायके की गुजिया बनाने का प्रोग्राम शुरू कर दिया है। उन्होंने गुजिया के नाम की जानकारी हमें दी। उन्होंने बताया कि आगरा में गुजिया को गुंजा कहा जाता है जो सूखी होती है और शक्कर की चाशनी में डूबी हुई गुंजा को गुजिया कहते हैं। होली के क़रीब आते ही गुंजा और गुजिया की पूरे भारत में ज़बरदस्त मांग बढ़ जाती है और एक महीना पहले से ही बनाना शुरू कर दिया जाता है। 

देवीराम की गुजिया इसीलिए स्पेशल है क्योंकि जहाँ बाक़ी लोग गुजिया के आटे में 300 ग्राम घी डालते हैं, हम इसमें 400 ग्राम शुद्ध घी डालते हैं ताकी तलने के बाद गुजिया नरम रहे। इसमें सॉफ़्टनेस घी से आती है और आगरा के वासी गुंजाध् गुजिया को नरम ही पसंद करते हैं। 
इस बार हमने केसर के साथ गुजिया में चंदन पाउडर शामिल किया है एक अलग टच देने के लिए जो बहुत ज़बरदस्त इफ़ेक्ट दे रहा है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हमारे प्यारे ग्राहकों के लिए हमने शुगर-फ्ऱी गुजिया और बेक्ड गुजिया भी बनाई है। हम गिफ़्ट-हैंपर भी बनाते हैं जिस में ब्रैंडेड ईको-फ्रें़डली कलर्स रखे हैं।

गुजिया की इतनी खपत है कि हर होली पर इसकी कमी हो जाती है..कोई क्षमता ही नहीं है गुजिया के बनने की । ये समझ लीजिये कि मिठाई में सिर्फ और सिर्फ 99ः गुजिया ही बनती है। हमारे यहां हर रोज़ 50 ाह गुजिया बनती है और दिन ख़त्म होते बिल्कुल थाल साफ़ हो जाता है।  देवीराम गुजिया बाहर मुल्क में भी एक्सपोर्ट करता है जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। 

होली के आते ही बहुत सारी MNCs और कॉरपोरेट लेवल की कंपनियां गुजिया का बल्क ऑर्डर देती हैं, और ऑर्डर पूरा करते करते आखि़र में कमी ;ेीवतजंहमद्ध का सामना करना पड़ता है। चीनी-डिप गुजिया के मुक़ाबले होली में सूखी गुंजा की डिमांड ज़्यादा रहती है।


ओम स्वीट्स प्राइवेट लिमिटेड, गुड़गांव के MD सुनील दत्त कथूरिया कहते हैं, “कई नामों से जानी जाने वाली गुजिया होली के त्यौहार पर हमेशा उपलब्ध रहती है। होली कभी भी गुजिया के बिना पूरी नहीं होती है जो त्यौहार की खुशी, अलग अलग स्वाद और भरावों से भरी होती है। आकार और स्वाद निश्चित रूप से सालों के बीतते ही भिन्न हो गए हों, लेकिन गुजिया की मौजूदगी में कोई कमी या फ़र्क़ नहीं पड़ा है”।

हमने सुनील जी से होली के त्यौहार पर गुजिया की बिक्री के बारे में उनकी प्रतिक्रिया पूछी, सुनील जी ने सकारात्मक शब्दों में जवाब दिया, “हाँ, यह बिल्कुल सही बात है कि पिछले कुछ वर्षों में गुजिया की मांग कई गुना बढ़ गई है। इसकी बढ़ती मांग के मुख्य कारण हैं:
* कुछ समय पहले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मिठाई की बहुत सीमित दुकानें हुआ करती थीं। लेकिन अब मिठाई उद्योग में पॉपुलर ब्रैंड्स के आने से मिठाई की दुकानों की संख्या बढ़ गई हैं और हर 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर मिठाई की दुकान मिल जाती हैं।

* मीडिया कवरेज, मार्केटिंग और ब्रैंडिंग के कारण गुजिया की जागरूकता और लोकप्रियता भी बढ़ गयी है।

* बड़े कॉरपोरेट अब होली पर अपने कर्मचारियों को गुजिया बांट रहे हैं, जबकि पहले सिर्फ दिवाली पर ही मिठाईयाँ बटा करती थीं ।

* ऑनलाइन डिलीवरी पोर्टल्स पर गुजिया की उपलब्धता, मॉडर्न ट्रेड भी एक बड़ा कारण है सेल्स में वृद्धि का।


यह बताते हुए कि ओम स्वीट्स गुजिया अन्य निर्माताओं से अलग क्योँ है, सुनील जी ने कहा,ओम स्वीट्स में हम कई तरह की गुजिया बनाते हैं जैसे ड्राई फ्ऱूट कोकोनट गुजिया, केसर गुजिया, चंद्रकला गुजिया, समोसा गुजिया, बेबी गुजिया, ठंडाई गुजिया, चॉकलेट गुजिया आदि। हमारी USP शुद्ध देसी घी है और सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले सूखे मेवे, शुद्ध खोया और अन्य सामग्री हैं। हमारे पास अपनी इन-हाउस पूरी तरह से सुसज्जित लैब है और सभी कच्चा माल परीक्षण के लिए पहले लैब में जाता है और यदि यह हमारे मानकों और विशिष्टताओं को पूरा करता है तभी इसे स्वीकार किया जाता है। हमारी नीति केवल सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले उत्पादों को बेचने की है।

होली के त्यौहार के 3 दिनों के दौरान, गुजिया की औसत बिक्री कुल बिक्री का 50ः योगदान रहता है। यह लोकेशन पर भी निर्भर करता है क्योंकि हमारे आउटलेट मॉल में भी हैं, गुजिया की बिक्री में 35 से 40ः का योगदान है। जबकि स्थानीय हुदा बाज़ार में, आउटलेट्सध्स्टैंडअलोन में, गुजिया की बिक्री का योगदान 3 दिनों में 60 से 65% है।


तरंग देसाई, श्री कष्णा स्वीट्स दाहोद (गुजरात) के डायरेक्टर हैं। श्री कष्ण स्वीट्स ने भारत में शीर्ष आपूर्तिकर्ताओं की सूची में अपना नाम बनाया है। इनका नाम गुजरात के बेहतरीन नमकीन, मिठाई और बिस्कुट के निर्माता में गिना जाता है।

MNT के पहले सवाल पर हामी भरते हुए तरंग ने उत्तर दिया कि पिछले 5 सालों में समय के साथ गुजिया और उसकी वैराइटीज़ की बनावट में काफ़ी बदलाव आये हैं और डिमांड भी बहुत बढ़ गई है। और जिस तरह से गुजिया की वैराइटीज़ बन रही हैं, आने वाले समय में इसकी बिक्री में  निश्चित रूप  से बढ़ने की उम्मीद है।

केसर और ड्राईफ्ऱुइट्स के साथ, श्री कष्णा स्वीट्स अपना ख़ुद का बनाया खोया/ मावा गुजिया के भरावन में इस्तेमाल करता है। ट्रेडिशनल तरीके़ से बनी गुजिया स्पेशियल जामखंबालिया का शुद्ध देसी घी में तली जाती हैं।  

तरंग ने और जानकारी देते हुए कहा, “हमारेयहाँ गुजिये की कई वैराइटीज़ बनती हैं जैसे:1-केसर शाही गुजिया, 2- पनीर गुजिया, 3- चॉकलेट गुजिया, 4- लौंग-लता गुजिया, 5-चंद्रकला, 6-सोने और चाँदी के वर्क़ में लिपटी गुजिया भी बनाते हैं।

बड़े शहरों के मुकाबले, गावों में आबादी कम होती है इसीलिए वहाँ बिक्री भी कम रहती है। इस हिसाब से शहरों से गुजिया की डिमांड का सिलसिला ज़्यादा बना रहता है । होली के दौरान, हमारे मुताबिक, बाक़ी सब मिठाईयों की सेल में से गुजिया का हिस्सा 15 से 20% होना चाहिए। 

आशा स्वीट सेंटर, जिसे पहले मल्लेश्वरम स्वीटमार्ट स्टॉल के नाम से जाना जाता था, की स्थापना स्वर्गीय श्री कांता प्रसादजी गर्ग ने 1951 में बैंगलोर में की थी। श्री कांथा प्रसादजी की दृष्टि अपनी स्थापना को और अधिक ऊंचाईयों तक ले जाने की थी, उनके पुत्र नरेंद्र कुमार गर्ग उसी उत्साह के साथ व्यवसाय में शामिल हुए, उन्होंने ही वर्ष 1971 में प्रतिष्ठान का नाम बदलकर आशा स्वीट सेंटर रखा।आशा स्वीट्स, बैंगलोर और इनकी की तीसरी पीढ़ी से मयूर गर्ग ने निश्चित रूप से उनसे कुछ फ़ीडबैक लिया।

जब हमने उनसे गुजिया की बढ़ी डिमांड के बारे में पूछा तो उन्होंने बड़े जोश से जवाब दिया, “हां, गुजिया की बिक्री तो बढ़ ही रही है, ख़ासकर बैंगलोर में जहाँ बहुत सारे उत्तर भारतीय परिवार शहर में प्रवास कर रहे हैं और इसी के साथ होली मनाने, ठंडाई और गुजिया जैसे सभी स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेने की संस्कृति बहुत लोकप्रिय होती जा रही है। हम केवल एक ही प्रकार की गुजिया का पालन करते हैं, जो पुरानी रेसिपी और बेहतरीन सामग्री का उपयोग करके बनाई गई प्रामाणिक यूपी वाली गुजिया है।

निसंदेह होली के दौरान, गुजिया की बिक्री हमारी कुल बिक्री का लगभग 20.25% होती है।

पटना के विवेक मित्तल जो बीकानेर एलीट मिठाई आउटलेट के मालिक हैं, उनका मानना ​​है कि गुजिया की मांग बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ी है, लेकिन स्वाद का पैटर्न ज़रूर बदल गए हैं। लोग बदलाव चाहते हैं, और उनके लिए हमने कम और बहुत कम चीनी श्रेणी की गुजिया जैसे बेक्ड गुजिया और घर की गुजिया विकसित की है। लेकिन मावा और मेवे से भरी पारंपरिक मीठी गुजिया और भरपूर मसालों से भरी शुगर सिरप में अच्छी तरह डूबी हुई गुजिया को प्रिफ़र करते है और डिमांड भी उसकी रहती है।

बीकानेर का स्वाद और गुणवत्ता निसंदेह अन्य निर्माताओं से अलग है। शुद्ध देसी घी में बनी हमारी गुजिया कुरकुरी और बड़ी ख़ूबसूरती से हमारे अपने बनाए मावे से भरी हुई है, जो एक अलग स्वाद प्रदान करने के लिए सूखे मेवों और समृद्ध मसालों से भरपूर है।


गुजिया की बिक्री होली की पूर्व संध्या पर सेल्स का एक प्रमुख हिस्सा है और इसी लिए हमने गुजिया के पैकेट के साथ होली गिफ़्ट हैम्पर्स भी रखे हैं। मुझे लगता है कि इन दोनों का कुल बिक्री में लगभग 25% से 30% हिस्सा है।


तंजावुर के बॉम्बे स्वीट्स के मालिक सुब्रमणि शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ सालों में गुजिया की डिमांड बेशक बढ़ी है।
ष्मेरे पिता गुजिया से प्रेरित थे। उत्तर भारत में होली के त्यौहार के दौरान तैयार की गई सूखी तली हुई पेस्ट्री, जिसे चंद्रकला और सूर्यकला भी शामिल हैं, दोनों, जिनमें लगभग एक ही फ़िलिंग है, एक दक्षिणी भारतीय मोड़ प्राप्त किया हैष्, सुब्रमणि ने बताया।
हम अपने संस्थापक द्वारा आविष्कृत पारंपरिक प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं, जो चीनी की चाशनी को सही मात्रा में गुजिया के भीतर जाकर उसे सक्षम बनती है और यही प्रक्रिया इसे अलग बनाती है।

चंद्रकला और सूर्यकला के नए छोटे संस्करणों की मांग बढ़ी है, और होली पर उपहार देने के लिए बहुत अच्छी हैं। होली के दौरान हमारी बिक्री में गुजिया की हिस्सेदारी क़रीब 65-70 फ़ीसदी होती है।

दूध मिष्ठान भंडार (DMB) जयपुर के निदेशक राहुल शर्मा का मानना है कि बीते वर्षों के मुक़ाबले गुजिया की मांग बढ़ती ही जा रही है। DMB गुजिया एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है जो होली के दौरान अवश्य खानी चाहिए। आप लोग इस स्वादिष्ट कुरकुरी, सुनहरी-भूरी, भरवां मिठाई को होली के उत्सव में शामिल करें और खुशियाँ फैलाएं।

कई निर्माताओं की तरह हम भी गुजिया के इनोवेशन में लहर पैदा करते हैं लेकिन हमें अपने उत्पादों के स्वाद में निरंतरता बनाए रखने की ज़रूरत है। होली में लोग हमारी गुजिया का इंतज़ार करते हैं जो विशेष रूप से इस विशेष दिन पर बनाई जाती हैं जो इलायची के स्वाद वाली स्टफिं़ग है। इसके बाहरी आवरण के रूप में मैदा की एक पतली परत होती है और अंदर भरण ज़्यादा होता है।

हर साल की तरह जयपुर में होली बहुत धूम-धाम और शो-शा  के साथ मनाई जाती है। घर पर मेहमानों की एक श्रृंखला खींचती चली जाती है । इस प्रकार, मिठाई हमेशा त्यौहार के वक़्त घर पर होती है। इतनी मांग के साथ गुजिया का हिस्सा अपने आप में कहानी कहता है। होली के दौरान बनाई जाने वाली अन्य मिठाई की तुलना में हमारी गुजिया 50% तक बिकती है।

हेमंत गहलोत, CEO महेंद्र मिठाईवाला प्राइवेट लिमिटेड (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) से जब हमने जानकारी हासिल की तो उन्होंने अपने गुजिया के उत्पादन अच्छी बढ़ौतरी बताई, गुजिया की मांग हर साल औसतन 15-20% के पैमाने पर बढ़ रही है और यह एक अच्छा ख़ासा इशारा है गुजिया की प्रसिद्धता का। और इसी बेस पर हम अपनी अगले साल की तैयारी करते हैं।

महेंद्र मिठाईवाला में हम मिठाई बनाने में अपने नुस्ख़े को सरल रखने में विश्वास करते हैं ताकि उत्पाद अपने मूल स्वाद और महत्व को खो न दे, इसी लिए हम इसे वही प्रामाणिक गुजिया का नुस्ख़ा रखते हैं। हालाँकि, हम अपने आपूर्तिकर्ताओं से सर्वोत्तम सामग्री प्राप्त करने का प्रयास करते हैं जो अंततः हमारे सभी आउटलेट्स में उत्पाद की गुणवत्ता और निरंतरता को बढ़ाता है और एक जैसा बनाए रखता है।

बाक़ी मिठाईयों के अतिरिक्त, गुजिया आमतौर पर होली के महीने में हमारी कुल बिक्री का 20.25% योगदान देती है।

कपिल खरबंदा, ल्यालपुर स्वीट्स, लुधिआना से कहता हैं कि सादे दिनों में गुजिया की बिक्री नॉर्मल सी होती है लेकिन होली के आते ही बिक्री में काफ़ी बढ़ौतरी देखने को मिलती है। 

हमारी बनाई हुई गुजिया बाक़ी लोगों से अलग इसीलिए है क्योंकि हम काफ़ी मात्रा में अलग अलग वैराईटी की गुजिया बनाते हैं जैसे के चॉकलेट गुजिया, केसर गुजिया, रोज़ गुजिया, कीवी गुजिया, गुड़ गुजिया इत्यादि। हमारे अलावा यहाँ इतनी गुजिया कोई नहीं बनता है।

जहाँ तक बाक़ी मिठाईयों के मुक़ाबले गुजिया के सेल का सवाल है तो होली के आगमन पर 75% सेल्स गुजिया की ही होती है।

 


पुणे से रुशील दादू, जो दादू’स  एम्पोरियो के निर्देशक हैं, उनका कहा कुछ इस तरह से रहा, “महाराष्ट्र में होली के त्यौहार को बहुत उल्हासित ढंग से मनाया जाता है और गुजिया इस सन-सज्जा की शोभा है। भारत में गुजिया या करंजी (जैसे इसे महाराष्ट्र में कहा जाता है) कि मांग में वृद्धि हुई है क्योंकि लोगों ने भारतीय त्यौहारों को उन त्यौहारों से संबंधित विशेष मिठाई के साथ मनाना शुरू कर दिया है, चाहे वे किसी भी समुदाय के हों। इसे मिठाई और नमकीन उद्योग द्वारा त्यैेहारों के प्रचार-प्रसार से भी जोड़ा गया है।

हम हर होली पर दादू’स  एम्पोरियो में तरह-तरह की गुजिया बनाते हैं जैसे गुलाब की गुजिया (जो फूल के आकर में होती है), आम की गुजिया, बादाम गुजिया, पिस्ता गुजिया, बेक्ड गुजिया और भी बहुत कुछ। हमारे द्वारा बनाई जाने वाली पारंपरिक गुजिया घी में बड़े करीने से तली जाती है, यह रसीली होती है और हां, मुख्य रूप से यह कम मीठी होती है।

होली 22% तक, गुजिया की कुल बिक्री का लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा था ।

सूरत में स्थित सुनील आहूजा, कैलाश स्वीट्स के ओनर हैं। होली पर गुजिया की डिमांड के बारे में उन्होंने MNT को बताया की, “बेशक गुजिया की मांग हर साल बढ़ती ही जा रही है और विभिन्न प्रकार की स्वादों की ऊंची मांग में वृद्धि हो रही है। साथ ही, भारत में अधिकतर मिठाई की दुकानों में अब गुजिया साल भर उपलब्ध है।

हमारी बनाई हुई गुजिया में कई क़िस्में हैं जैसे केसर गुजिया, गुलाब गुजिया, व्हाइट चॉकलेट गुजिया, डार्क चॉकलेट गुजिया और कई अन्य प्रकार की गुजिया बनाते हैं। इसके अलावा, हम एक विशेष ळव्स्क् गुजिया भी पेश करते हैं जिसे हम प्रति किलोग्राम 25,000 रुपये में बेचते हैं। यह हमें अन्य निर्माताओं से अलग बनाता है, साथ ही हमारी गुणवत्ता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अलावा, हमारी गुजिया 3 महीने की शेल्फ़ लाईफ़ वाली होती है और समस्त भारत में आसानी से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं।

होली के त्योहार के दौरान गुजिया की बिक्री बहुत अधिक होती है। हालांकि हम सिंधी घीयर, चंद्रकला, लौंग-लता और कई अन्य मिठाई की भी बिक्री करते हैं, लेकिन गुजियों की बिक्री इन अन्य उत्पादों से अधिक होती है।
होली पर गुजिया, रंग और भंग का चोली दामन का साथ है। आईये इस होली के सीजन पर गुजिया और इसकी नए.नए फ़्लेवर्स को बढ़ावा दें ताकि हम इसे भारत के बाहर निर्यात के स्तर तक ले जा सकें।

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क्या हम गुजिया बेक कर सकते हैं?

हाँ, बिल्कुल। बनाने की प्रक्रिया वही रहती है, बेक करने के लिए, ओवन को 180 डिग्री सेल्सियस पर पहले से गरम कर लें। एक बेकिंग ट्रे को एक टेबल स्पून घी से ग्रीस कर लें और गुजिया को ट्रे पर एक परत में रख दें। प्रत्येक गुजिया को घी लगाकर चिकना कर लीजिए.

180 डिग्री सेल्सियस पर 12-15 मिनट तक बेक करें। पेस्ट्री की बाहरी परत कुरकुरी, परतदार और हल्की भूरी होनी चाहिए। बेक की हुई गुजिया को स्टोर करने से पहले पूरी तरह से ठंडा करने के लिए वायर रैक में ट्रांसफर करें।

गुजिया को कैसे स्टोर करें?

गुजिया का मज़ा गरमा गरम और ताज़ा ही लिया जाता है. हालाँकि, आप मावा गुजिया को कमरे के तापमान पर एक सप्ताह तक स्टोर कर सकते हैं।

यदि आपकी गुजिया नारियल से भरी हुई है, तो वे लंबे समय तक कमरे के तापमान पर 2 सप्ताह तक रह सकती हैं, अगर उन्हें एयरटाइट कंटेनर में रखा जाए।

गुजिया तलने के बाद, उन्हें प्लेट या धातु की छलनी में निकाल लें, पूरी तरह से ठंडा होने दें और हवा बंद डब्बे में भरकर रखें, वे चुरमुरा सकती हैं।