कोविद-19 से लड़ने की ताक़त दे सकता है प्रोटीन-युक्त रसगुल्ला

April 15, 2020

रसगुल्ला खाना है आसान जिससे बचेगी आप कि जान 

डॉक्टर्स का  मन्ना  है  कि  रसगुल्ले  आप  के  शरीर  में  प्रोटीन  कि  ज़रूरत  को  पूरा  करते  हैं  और  २  रोटियों  के  बराबर  आप  को  ताक़त  देते हैं ।

कोविड के सेकंड फेज़  के दौरान रसगुल्लों की मांग बढ़ती नज़र आ रही है। इस  बीमारी के चलते  रसगुल्ले की मांग बढ़ने की बात  सब  को हैरान  और  परेशान कर रही  है। हालांकि यह बात  सही  है, हर जगह मिठाई की दुकानों और दूध कि  डेरी   वालों   के  यहाँ  देखा  जा  रहा  है कि  कोरोना के मरीज़ जहाँ  भी  मौजूद   हैं  , वहां से रसगुल्लों की खपत  ज़्यादा  होती दिखाई दे रही है। डॉक्टर का  भी  यही   मन्ना  है  कि  कोविड मरीज़ों को  रसगुल्ले ज़रूर खिलाएं ।  जिन्हे  मामूली  तौर  पर  ये  इन्फेक्शन  है  या  अगर  उससे  भी  ज़्यादा  है तो, ऐसे  मरीज़ों को दवाओं के साथ दिन में  तीन  बार  रसगुल्ले खाने का  मशवरा दे रहे हैं ।  

अब बहुत सारी जगहों पर लोगों को मालूम हो चला है कि रसगुल्ले कोविड दूर करने में काफी मददगार साबित हो  रहा है । डॉक्टर्स मरीज़ों को रसगुल्ले खाने के लिए केह रहे हैं। ऐसा  माना जा रहा है कि रसगुल्ले खाने से मरीज़ों को कोरोना से रिकवरी  ज़्यादा   जल्दी हो रही है।

राजश्री अपोलो अस्पताल के प्रमुख डॉक्टर और बीते वर्ष से अब तक सैकड़ों मरीज़ों का उपचार कर चुके  हैं। डॉ. प्रणव वाजपायी ने बताया कि वे और कई अन्य डॉक्टर्स सब मिलकर मरीज़ों को रसगुल्ला खाने का सुझाव दे रहे हैं। इसके पीछे ख़ास वजह मरीज़ों के शरीर को  ज़रूरत  के हिसाब  से  केलेरी, ऊर्जा और पोषण कि पूर्ति करना है।

डॉ. वाजपाई कहते हैं कि कोरोना के मरीज़ों के लिए एक दिन कि ज़रूरी शक्ति को पूरा करने के लिए तय मात्रा में कैलोरी लेना बहूत ज़रूरी है । शाकाहारी मरीज़ों के लिए रसगुल्ला शरीर को ताक़त  पहुंचने  का अच्छा ज़रिया है।  दरअसल रसगुल्ला छेने  से बनता है और छेने में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है । 

 कोरोना मरीज़ों कि अच्छी रिकवरी ज़्यादा  ज़रूरी  है और उनको  पर्याप्त कैलोरी देने पर हमारा ज़्यादा ध्यान होता है। मरीज़ रसगुल्ले  आसानी से खा सकते हैं।  हाज़मे  में भी परेशानी नहीं होती।  इसके के साथ मखाना , ड्राई फ्रूट जैसी कई चीज़ें खाई जा सकती हैं, और रसगुल्ला सस्ता होने  कि  वजह  से  भी मरीज़ों को रसगुल्ला खाने के लिए कहा जा रहा है। यदि मरीज़ डायबिटिक है तो ऐसी स्तिथि में उसे दही खाने के  दही खाने कि सलाह दी जा रही है ।

रसगुल्ले कि मांग को बढ़ता देखकर  लॉकडाउन कि स्थिती  का जायज़ा लेकर दुकानदारों ने लोगों  से बताया कि वह आसानी से घर में छेना  बना सकते हैं , उसकी मांग असल में छेना कि वजह से है क्योंकि छेने में प्रोटीन अधिक मात्र में शामिल है ।

दिन में १२ रोटी खाना संभव नहीं, पर छे रसगुल्ले मरीज़ आसानी से खा सकता है ।

कंसल्टेंट, फिज़िशियन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हुसैन अत्तार भी कोरोना मरीज़ों को रसगुल्ला खाने कि सलाह दे रहे हैं। डॉ. अत्तार के अनुसार हम मरीज़ों को समझा भी रहे हैं कि यह दवा या बीमारी का इलाज नहीं है।  दरअसल कोरोना या किसी भी वायरस  प्रभावित मरीज़ के खाने कि रूचि और स्वाद कि क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है।  एक रसगुल्ले में दो रोटी के बराबर कैलोरी होती है।  यदि दो – दो रसगुल्ले दिन में तीन समय मरीज़ खाले तो उसके दिन भर कि ऊर्जा कि ज़रूरत पूरी हो जाती है ।  किसी मरीज़ के लिए १२ रोटी दिन में खाना संभव नहीं है लेकिन  वह छे रसगुल्ले आसानी से खा सकता है।